लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल अनेक अवसरों पर बच्चों से मिल कर उन्हें प्रेरणादायक संदेश देती है। वह अक्सर विद्यालयों में जाती हैं। इसके अलावा समय समय पर बच्चों को राजभवन में भी आमंत्रित करती है। विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोहों में बच्चों को आमंत्रित करने की परम्परा उन्होने ही शुरू की थी. एक बार फिर उन्होने राजभवन पहुँचे बच्चों को उपयोगी सलाह दी है।
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उन्होने बच्चों से कहा कि वह खाद्य सामग्री और जल की बर्बादी रोकने के प्रति सदैव सजग रहें. इसको अपनी दिनचर्या में शामिल करें. आवश्यकता के अनुसार खाना और और पेयजल लें, जिससे बाद में उसे फेंकना ना पड़े. वस्तुतः आनन्दी बेन की यह सलाह बच्चों के साथ ही अध्यापकों और अभिभावकों के लिए भी है. उन्होने विद्यालयों के शिक्षकों को भी जिम्मेदारी सौपी।
राज्यपाल ने कहा कि वह विद्यार्थियों को इसके प्रति जागरूक करें. यदि कोई बच्चा आवश्यकता से अधिक पेयजल लेता है, तो बचे हुए जल को एक पात्र में संग्रहित कराएं. बच्चों को बतायें कि उन्होंने इतना जल बरबाद किया है, इसकी सूचना भी प्रतिदिन बोर्ड में लगाएं. ताकि बच्चे उसे पढ़ सकें।
इससे धीरे-धीरे इनकी इन आदतों में सुधार होगा तथा वे भी अन्य बच्चों तथा अपने अभिभावकों को जल संरक्षण के महत्व को समझा सकेंगे। इस प्रकार संग्रहित जल को पेड़-पौधों की सिचांई के उपयोग में ला सकते हैं।
आनंदीबेन पटेल से राजभवन में उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य के नेतृत्व में जनपद बाराबंकी के पांच सरकारी स्कूलों के कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थी और अध्यापक मिलने पहुँचे थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर जलसंरक्षण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले पांच बच्चों में दो बच्चों क्रमश: जैकी रावत तथा कुमारी दीपशिखा को विप्रो कम्पनी द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री