मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह के अभिनन्दन एवं पुस्तक लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि कन्हैया सिंह साहित्यकार होने के साथ-साथ एक समाजसेवी भी हैं। कन्हैया सिंह ने विधि प्रवक्ता थे। लेकिन साहित्य में उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने चालीस से अधिक किताबें लिखी। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। वह आजमगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष भी रहे। डॉ. कन्हैया सिंह ने अपने सृजन से हिन्दी साहित्य को एक नयी दिशा दी। अनेक साहित्यिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय चिन्तन के मंचों पर उनकी सशक्त उपस्थिति रही है। डॉ. सिंह एक सहज व्यक्तित्व हैं और स्वयं को उसी रूप में प्रस्तुत करते हैं।
पच्चासी वर्ष की अवस्था के बाद भी वह लेखन में सक्रिय है। कोरोना काल में भी उन्होंने अपनी सृजनशीलता बनाये रखी। उन्होंने जनपद आजमगढ़ में अभिनन्दनीय कार्य किए हैं। विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति,दर्शन और मेधा की माप वहां के बौद्धिक वर्ग, जिनमें लेखक, साहित्यकार इत्यादि शामिल हैं, से होती है। भारत में साहित्य सृजन की पुरानी परम्परा है। डॉ. कन्हैया सिंह इसी परम्परा से आते हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह के लेखन में विविधता है। इस अवसर पर उन्होंने ‘काली मिट्टी पर पारे की रेखा’, ‘गोरखनाथ: जीवन और दर्शन’,आलोचना के प्रत्यय: इतिहास और विमर्श’, ‘संस्मरणों का आलोक’ पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर उप्र हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानन्द प्रसाद गुप्त तथा हिन्दी संस्थान के निदेशक श्रीकान्त मिश्र सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।