लखनऊ। गुरू ग्रन्थ साहिब के संस्थापक, बाणी के बोहिथ, शहीदों के सरताज सिखों के पांचवें गुरू साहिब गुरू अरजन देव महाराज (Guru Arjan Dev Maharaj) का 417वाँ पावन शहीदी दिवस आज (23 मई) श्री गुरू सिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरु नानक देव नाका हिन्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर भव्य दीवान हाल में फूलों से सुसज्जित पालकी साहिब में श्री गुरू ग्रन्थ साहिब विराजमान थे। 21 मई को रखे गये श्री अखण्ड पाठ साहिब जी की समाप्ति के पश्चात रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में आसा-दी-वार की पवित्र बाणी एवं ‘‘जिसके सिर ऊपर तूं स्वामी सो दुख कैसा पावै।।’’ शबद कीर्तन गायन कर श्रद्धालुओं को निहाल किया। विशेष रूप से पधारे ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने श्री गुरू अरजन देव की जीवन पर गुरमति विचार व्यक्त करते हुए बताया कि गुरू अरजन देव ने सभी गुरूओं और भक्तों की बाणियों को संकलन करके एक ग्रन्थ तैयार किया जिसका मूल तत्व परमपिता परमेश्वर की अराधना करना, जाति-पाति एवं अन्ध विश्वासों का खण्डन करना और लोगों में आपसी भाई चारे की भावना पैदा कर परमेश्वर से जोड़ना है।
उन्होंने सन 1604 में पहली बार गुरु ग्रन्थ को श्री हरमन्दिर साहिब अमृतसर में स्थापित किया था। जिसके पहले ग्रन्थी बाबा बुड्ढ़ा जी बने। श्री गुरू अरजन देव ने 30 रागों में 2312 शबद लिखे, जिसमें श्री सुखमनी साहिब प्रमुख हैं। पंथ प्रसिद्ध रागी जत्था बीबी प्रभजोत कौर जी बटाला वालों ने अपनी मधुर बाणी में ‘‘तेरा कीआ मीठा लागे हरि नामु पदारथ नानक मांगे।।’’
शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। सिमरन साधना परिवार के बच्चों ने “सिमरहो सिमर सिमर सुख पाओ, कलह क्लेश तन माहे मितावोह।।” शबद कीर्तन गायन किया। रागी जत्था भाई गुरप्रीत सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा बंगला साहिब एवं गुरुद्वारा सीस गंज साहिब दिल्ली वालों ने “जपउ जिन् अरजन देव गुरु फिरि संकट जोनि गरभ न आइयो” गायन किया।
लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी एवं श्री गुरू सिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा गुरु नानक देव जी, नाका हिन्डोला, के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को गुरू द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलने का आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन सरदार सतपाल सिंह मीत ने किया। इस अवसर पर लखनऊ गुरुद्वारा रिफॉर्म्स कमेटी लखनऊ और थायरोकेयर के सहयोग से एक मेडिकल कैंप प्रातः 8:30 से गुरुद्वारा साहिब में लगाया गया जिसमें कई वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा मरीजों से परामर्श कर चेकअप किया और उन्हें सलाह दी।
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13 अप्रैल से 23. मई तक निरन्तर 40 दिनों तक प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक माता गुजरी सत्संग सभा एवं समूह संगत की ओर से श्री गुरू अरजन देव के शहीदी दिवस को समर्पित श्री गुरू अरजन देव द्वारा रचित पाठ श्री सुखमनी साहिब के पाठ किये गये। 10 दिन तक लगातार श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सहज पाठ संगत द्वारा किए गए।
पाठों की समाप्ति के उपरान्त मुख्य रूप से भाग लेने वाले पुरूषों एवं स्त्रियों को गुरू घर की कृपा सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एक विशाल गुरू के लंगर का भी आयोजन सरदार हरमिन्दर सिंह टीटू महामंत्री एवं सरदार तजिन्दर सिंह, सरदार इन्दरजीत सिंह की देखरेख में किया गया जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने एक पंक्ति में बैठकर गुरू का लंगर ग्रहण किया। लंगर वितरण की सेवा दशमेश सेवा सोसाइटी एवं खालसा इण्टर कालेज के बच्चों द्वारा की गई। कई प्रमुख स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा ब्रेड छोले, कच्ची लस्सी, काले चनें तथा जल जीरा वितरित किया गया।
कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने में कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने सहयोग किया जिसमें सिख सेवक जत्था के सदस्यों ने राजवंत सिंह बग्गा, कुलदीप सिंह सलूजा के साथ जोड़ों की सेवा की। सिख यंग मेन्स एसोसियेशन, दशमेश सेवा सोसाइटी, खालसा एसोसियेशन, सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी, अमृत सेवक जत्था प्रमुख थे। जिन्होंने लंगर तैयार करने में, लंगर वितरित करने में, छबील लगाकर संगत की शरबत और मीठे जल से कच्ची लस्सी से सेवा करने में अपने सहयोगियों के साथ विशेष योगदान दिया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी