Martyrdom day के अवसर पर ‘अनहद काव्य धारा’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन पांचवा पुस्ता गंवड़ी रोड स्थित सभागार में अखिल भारतीय सामाजिक व साहित्यिक संस्था वैभव वेलफेयर सोसाइटी की ओर से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध समाजसेवक व मोरल हाॅस्पिटल के प्रोफेसर डाॅ. यू.के. चौधरी ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पं. सुरेश नीरव ने की तथा मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त देश के बड़े व्यंग्यकार डाॅ. हरीश नवल मौजूद रहे। कार्यक्रम में ‘पलटीमार’ व्यंग्य संग्रह पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
यह आयोजन भारतीय संस्कृति व शहीदों को समर्पित रहा। इस अवसर पर दूर दराज से आये कवियों ने अपनी कविताओं से शहीदों का गुणगान कर श्रोताओं में राष्ट्रभक्ति का जज्बा भर दिया।
Martyrdom day पर प्रस्तुत की कविता
संस्था के अध्यक्ष व लाल किला फेम राष्ट्रीय कवि भुवनेश सिंघल ‘भुवन’ ने कार्यक्रम का सुन्दर संचालन किया। उन्होंने अपनी राष्ट्रवाद की कविताओं को भी सुनाया। सिंघल ने अपने वक्तव्य में कहा कि शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी तय थी मगर कानून की दुहाई देने वाले ब्रिटिश कानून व उनके संविधान ने 23 मार्च को ही फांसी दे दी। उनके शवों को भी परिजनों को नहीं सौंपा गया। चोरी-छिपे खुद उनकी मृत देह को आनन-फानन में जलवा दिया। बंटवारे की खामियों की बात करते हुए सिंघल ने कहा कि-
सच का कड़वा घूट जानने की यारों तुम खता करो,
बंटवारे का कच्चा चिट्ठा ,क बार बस पता करो,
पता करो की आजादी की क्या क्या शर्तें लाजिम थीं,
भारत मां के बंटवारे में किसकी किसकी साजिस थी,
धर्म आधारित उस हिंसा में देश जलाया था किसने,
भारत मां का वो बंटवारा आखिर करवाया किसने,
सात लाख अपने लोगों का कौन कौन हत्यारा था,
पता करो की नाथुराम ने क्यों गांधी को मारा था’।