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मंदिर जाने को निकले थे मयखानों में आ पहुंचे, राष्ट्रपति पुरस्कृत संस्कृत विद्वान के 90वें जन्मदिन पर आयोजित हुई काव्य गोष्ठी

बिधूना। सच्चे कर्मयोगी, जीवन पर्यंत संस्कृत भाषा के संवर्धन में संलग्न रहकर हजारों शिष्यो को संस्कृत भाषा में स्नातक, परास्नातक, विद्यावारिधि तक की शिक्षा का मार्ग दर्शन करने वाले, राष्ट्रपति पुरस्कार से विभूषित राम औतार शास्त्री के 90 वें जन्मदिवस के अवसर पर सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

नवोदित साहित्य परिषद बिधूना द्वारा उनके ज्येष्ठ पुत्र राम नरेश दुबे के नवीन बस्ती स्थित आवास पर आयोजित सरस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता रामकिशोर शुक्ला एडवोकेट तथा संचालन युवा कवि डॉ श्याम नरेश दुबे द्वारा किया गया। गोष्ठी का प्रारंभ मां शारदे की वंदना के साथ हुआ। जिसे युवा कवि आरके शर्मा ने स्वर दिया। अपनी एक अन्य रचना में उन्होंने प्रेम को परिभाषित करते हुए कहा… प्रेम के जलाए हैं मैंने दिए, पेग हरदम गरल के है मैंने पिए।

वरिष्ठ कवि रणजीत सिंह सोलंकी साक्षी ने हिंदी भाषा का महत्व बताते हुए कहा… प्यार भरा संसार हमारी हिंदी में,
पावन शिष्टाचार हमारी हिंदी में।

गजलकार मुकेश यादव ने भारत के पुराने वैभव को वापस लाने की अपील करते हुए कहा…भारत को फिर से अब आर्यावर्त बनाना होगा, फिरका परस्त ताकतो को जड़ से मिटाना होगा।

युवा शायर मोहम्मद अशरफ असर ने आज के वातावरण को इस तरह वर्णित किया… गोद प्रकृति की छोड़ी हमने, मैदानों में आ पहुंचे। मंदिर जाने को निकले थे, मयखानों में आ पहुंचे।।

वरिष्ठ कर राम किशोर शुक्ला किशोर ने अपने रचनाओं से सबका मन मोह लिया…काम क्रोध मद लोभ मोह में,
यम घर जाना है। संतों के सत्संग में जीवन, भव तर जाना है।।

पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त वरिष्ठ कवि श्याम दनादन अपनी समसामयिक रचनाओं से गोष्टी को नई ऊंचाइयों प्रदान की…प्राणों से भी प्यारी, हमको माटी हिंदुस्तान की। माटी हिंदुस्तान की, अपने देश महान की।।

युवा कवि अतुल दुबे ने स्थानीय निकाय चुनाव पर कुछ इस तरह व्यंग्य किया…टिकट मांगने निकल पड़ी, लिए समर्थक साथ। कमल साइकिल पंप मिले, या हाथी झाड़ू हाथ।

युवा कवि रानू पांडे ने अपनी शुभकामनाएं इस तरह व्यक्त की…हे कलमकार हे कलमकार इस जन्म, दिवस पर है प्रणाम तुम को बारंबार।

भारतीय जल सेना से सेवानिवृत्त अर्थशास्त्र के प्रवक्ता डॉ प्रवीण कुमार झा ने अपनी पहली रचना पड़ी…आज कवियों की सभा देख, मन में ख्याल आया। मैं भी कबी बन जाऊं, मकर संक्रांति के अवसर पर, मंगल गीत गांऊ।

युवा कवि हरि कृष्ण बाजपेयी ने अपने हास्य व्यंग की रचनाओं से माहौल को खुशनुमा किया। इस अवसर पर जय प्रकाश शिक्षक, वेदपति दुबे एडवोकेट, शाश्वत दुबे, सार्थक दुबे, यशिका दुबे, आदि कवि एवं परिवारजनों की उपस्थिति रही।

सभी ने संस्कृताचार्य शास्त्री के स्वस्थ, सुखी एवं शतायु जीवन की कामना की। इस मौके शास्त्री ने सभी आगंतुक कवियों व शुभाकांक्षियों को अपने शुभ आशीर्वाद से अनुगृहीत किया। अंत में नवोदित साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ श्याम नरेश दुबे ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा नगर क्षेत्र में साहित्यिक गतिविधियों को पुनर्जीवन प्रदान करने की अपील की।

रिपोर्ट – राहुल तिवारी

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