किसानों के नाम पर हुई महापंचायत का चुनावी पहलू भी अब खुल कर सामने आ गया है। यह भाजपा के विरोध का बन चुका है। विपक्षी पार्टियां भी इसमें अपना लाभ तलाश रही है। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा भी कमर कस रही है।
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कुछ कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया था। अभ चर्चा है कि यूपी सरकार भी गन्ना किसानों को राहत देने का निर्णय कर सकती है। वैसे प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के मुद्दे पर अपनी बढ़त दिखाने का प्रयास करती रही है।
उसका कहना है कि विगत चार वर्षों में वर्तमान सरकार ने गन्ना मूल्य का सर्वाधिक भुगतान किया है। इस अवधि में बंद चीनी मिलों को चलवाया गया।
अनेक की पेराई क्षमता बढाई गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार गन्ना किसानों के हितों के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। पिपराइच में चीनी मिल शुरू की गयी है। पिछली सरकार के समय पंचानबे हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ था।
जबकि विगत साढ़े चार वर्षों में गन्ना किसानों का एक लाख तैतलिस हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। नया सीजन आने के पहले शेष बचे गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिए सभी चीनी मिलों को निर्देशित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि किसान पूरे प्रदेश की कृषि सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। वे कहीं हाथ फैलाने को मजबूर नहीं है।
राज्य सरकार द्वारा आज किसानों की उपज की खरीद एमएसपी के तहत निर्धारित मूल्यों पर की जाती है। किसानों के गेहूं और धान की खरीद का पैसा सीधे उनके खातों में डीबीटी से प्रेरित किया जाता है।