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नाका गुरुद्वारा में मनाया गया ‘हिन्द की चादर’ श्री गुरू तेग बहादुर का 401वाँ प्रकाश पर्व

इस अवसर पर गुरुद्वारा साहब के भव्य दरबार हाल एवं पालकी साहिब को फूलों और बिजली की झालरों से सजाया गया। प्रातः का विशेष दीवान 5.45 बजे सुखमनी साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो 2.30 बजे तक चला।

लखनऊ। सिखों के नौवें गुरू और ‘हिन्द की चादर’ श्री गुरू तेग बहादुर जी महाराज का 401वाँ पावन प्रकाश पर्व गुरुवार (21 अप्रैल) को ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।

गुरुद्वारा साहब के भव्य दरबार हाल एवं पालकी साहिब को फूलों और बिजली की झालरों से सजाया गया

इस अवसर पर गुरुद्वारा साहब के भव्य दरबार हाल एवं पालकी साहिब को फूलों और बिजली की झालरों से सजाया गया। प्रातः का विशेष दीवान 5.45 बजे सुखमनी साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो 2.30 बजे तक चला। इसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुर बाणी में पवित्र ‘आसा की वार’ का अमृतमयी शबद कीर्तन गायन किया। ज्ञानी सुखदेव सिंह ने गुरू तेग बहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री गुरू तेग बहादुर जी महाराज का बाल्यावस्था का नाम त्यागमल था जो उनके विरक्त स्वभाव के अनुरूप था।

नाका गुरुद्वारा में मनाया गया ‘हिन्द की चादर’ श्री गुरू तेग बहादुर का 401वाँ प्रकाश पर्व

श्री गुरू तेग बहादुर जी जितना तपस्वी, त्यागी, निरभयता, निरवैरता,कर्म निष्ठा और कुर्बानी की दिव्य मूर्ति थे, उतना ही औरंगजेब अधर्मी, अभिमानी और अत्याचारी था। उसने श्री गुरू तेग बहादुर जी महाराज के सामने तीन शर्ते रखी – इस्लाम कबूल करो, कोई करामात करके दिखाओं या फिर मरने के लिये तैयार रहो।” उन्होंने अत्याचारी चुनौतियों का दृढ़तापूर्वक सामना किया और मनुष्य मात्र की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक में सन् 1675 में विशाल जन समूह के सामने अपना शीश देकर बलिदान दे दिया।

रारागी जत्था भाई प्रीतम सिंह ने “साधो मन का मान तिआगउ।” और ‘‘हरि का नाम सदा सुखदायी।”

श्री तेग बहादुर का आत्म बलिदान केवल इस प्रण को निभाने मात्र के लिये ही नहीं था वे आस्था, सिद्धान्त एवं भारत वर्ष की संस्कृति और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये शहीद हुए। तभी से गुरू तेग बहादुर जी को ‘‘तेग बहादुर हिन्द की चादर’’ भी कहा गया है। भाई दयाला जी, भाई सती दास जी, भाई मती दास जी ने भी शहादत दी।

 गी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने पवित्र ‘आसा की वार’ का अमृतमयी शबद कीर्तन गायन किया।

रागी जत्था भाई प्रीतम सिंह लखनऊ वालों ने साधो मन का मान तिआगउ।”  और ‘‘हरि का नाम सदा सुखदायी।” गायन कर संगत को मंत्र मुग्ध कर दिया सिमरन साधना परिवार के बच्चों ने शबद कीर्तन गायन किया। ज्ञानी गुरदेव सिंह कानपुर वालों ने गुरमति विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू तेगबहादुर जी महाराज के गुरू ग्रंथ साहिब में 115 शबद एवं नौंवे महॅले के श्लोक दर्ज हैं। विशेष रूप से पधारे रागी जत्था भाई सतवंत सिंह सारंग जी ने “तेग बहादुर सिमरिअै घर नउ निधि आवै धाई।” शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया।

शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया।

कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। प्रकाशोत्सव के विशेष कार्यक्रम में शामिल होने वाली संगतों की ओर से संगत की सेवा के लिए कड़ी चावल, खीर, मैगी, पनीर पुलाव एवं विभिन्न पकवानों के स्टाल महामंत्री हरमिन्दर सिंह टीटू एवं उपाध्यक्ष हरविन्दरपाल सिंह नीटा की देखरेख में लगाए गये।

गुरु के लंगर वितरण की सेवा सिक्ख यंग मेन्स ऐसोशिऐशन, दशमेश सेवा सोसाइटी तथा खालसा इण्टर कालेज के बच्चों द्वारा की गई। जन समाज सेवा संस्था द्वारा संगतों के लिए कच्ची लस्सी की सेवा की गई। शाम के दीवान की समाप्ति के उपरान्त उपस्थित समूह संगतों द्वारा श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी पर फूलों की वर्षा की गईं। दीवान की समाप्ति के उपरान्त ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिण्डोला के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को गुरू तेग बहादुर जी महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी। समाप्ति के उपरान्त गुरु का लंगर संगतों में वितरित किया गया।

रिपोर्ट-दयाशंकर चौधरी

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