• 2024 आम चुनाव में फिर बजेगा अयोध्या-मथुरा-काशी का बिगुल
प्रभु राम की नगरी अजय कुमारअयोध्या एक बार फिर सुर्खियों में हैएभले ही इसकी वजह प्रभु श्रीराम नहींए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही क्यों न हों। अयोध्या भगवामय हो गई है। प्रधानमंत्री का जब से अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम बना है तब से अयोध्या में सियासी हलचल बढ़ गई है।इस बार रामलला के दर्शन के साथ पीएम राममंदिर निर्माण को देखने भी जाऐंगे। वे सरयू नदी का दर्शन-पूजन कर सरयू की आरती भी करेंगे। दीपोत्स्व स्थल पर भी उनका कार्यक्रम प्रस्तावित है।इस दौरान पीएम मोदी अयोध्या रामं मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या को लेकर अपना व्यापक संकल्प करीब 15 मिनट के भाषण में व्यक्त कर सकते हैं।
अयोध्या स्थित प्रमुख वैष्णव पीठ श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमख और नित्य सरयू महाआरती के संरक्षक स्वामी राजकुमार दास कहते हैं कि पीएम मोदी न केवल परम भक्त बल्कि वैश्विक सोच वाले हैं। उनकी सेवा अयोध्या को भव्य से भव्यतम बनाने की है।सीएम योगी भी उनकी इस सोच में हर पल तत्पर दिखाई देते हैं। मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए दीपोत्सव पर अयोध्या को भगवामय किया जा रहा है। यहां के सांसद लल्लू सिंह के आवास पर हजारों भगवा ध्वज का निर्माण किया जा रहा है। ध्वज पर अंकित राम दरबार का चित्र त्रेतायुग में भगवान राम के आगमन के दृश्य का साक्षात दर्शन करा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगा आदित्यनाथ से लेकर तमाम मंत्री और यूपी सरकार के कई बड़े.बड़े अधिकारी यहां पैदल गलियों में घूमते दिख रहे हैं।
अक्सर सीमा पर वीर जवानों के साथ दीपावली या अन्य उत्सव मनाने वाले मोदी ने जैसे ही अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम तय कियाए कुछ लोगों को उनकी;मोदीद्ध राम लला के प्रति इस आस्था में 2024 का राजनैतिक एजेंडा नजर आने लगा। हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग करने वाले मोदी और योगी अयोध्या आएंगे तो यह बात तय है कि हिंदुत्व और प्रखर होगा। इसी बेचैनी ने मोदी विरोधियों की नींद उड़ा रखी है। यह वह ताकते हैं जो हमेशा से हिंदुओं में बिखराव और अन्य कौमों में एकजुटता का सपना पाले रहती हैं। ताकि राजनैतिक क्षितिज पर उनकी सियासत का सितारा हमेशा चमकता रहे।
इसमें बसपा, सपा, वाममंथी और कांग्रेस सहित तमाम दल शामिल हैं। इन्हीं दलों के नेता सवाल पूछ रहे हैं कि आज अयोध्या मोदीमय है,लेकिन मंदिर आंदोलन के समय तो मोदी कहीं नहीं दिखाई देते थेएमंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वापजेयीएपूर्व डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशीएउमा भारती के संघर्ष की गाथा अयोध्या में क्यों नही दिखाई सुनाई पड़ती है।
हिन्दू हदय सम्राट पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है, जिनके सत्ता मेें रहते विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ था। विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल को कौन भूल सकता है, जिन्होंने पूरा जीवन राम मंदिर निर्माण के लिए कुरबान कर दिया।
इसी तरह से मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े पैरोकार दिवंगत रामचन्द्र दास परमहंस, देवराह बाबाए मोरोपंत पिगंले, महंत अवैद्यनाथ, गोपाल सिंह विशारद, कोठारी बंधु न जाने कितने अनगिनत नाम और चेहरे हैं घ् जबकि बीजेपी सांसद लल्लू सिंह कहते हैं कि सप्तपुरियों में प्रथम नगरी अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। रामराज्य की परिकल्पना यहां से वैश्विक स्तर पर प्रसारित हुई है। आदर्श शासन स्थापित करने की प्रेरणा हमें रामराज्य के बारें अध्ययन प्रदान करता है।
दीपोत्सव के माध्यम से यहां की संस्कृति में समाहित आदर्शए मर्यादा व अनुशासन से पूरे विश्व को अवगत कराने का कार्य यूपी सरकार ने किया है तो इससे किसी को दुखी या परेशान नहीं होना चाहिए। सांसद लल्लू सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को याद दिलाते हुए कहते हैं कि योगी ने तो कहा ही है कि रामनगरी अयोध्या विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो रही है। उनके प्रयासों और प्राथमिकताओं में अयोध्या के विकास की झलक साफ दिखाई देती है।
अयोध्या को लेकर सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना है। यही कारण है कि कुछ समय पूर्व यहां लता मंगेशकर चौराहे का उद्घाटन करते समय सीएम योगी ने यह घोषणा की थी कि अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े तथा वरिष्ठ साधु.संतों के नाम से आने वाले एक साल के अंदर लता मंगेशकर चौराहे की तर्ज पर चौराहा बनाया जाएगा।
बहरहाल, वैसे भी राम की नगरी अयोध्या पर केंद्र और प्रदेश सरकार का खास फोकस रहता है।बीजेपी के प्रत्येक चुनाव में अयोध्या से लेकर मथुरा.काशी तक छाया रहता है। यही कारण है कि कई विकास योजनाएं एक साथ अयोध्या में तीव्र गति के साथ चलाई जा रही हैं। अयोध्या का विजन डॉक्यूमेंट 2047 तैयार होने के बाद राम नगरी में लगभग 20 हजार करोड़ की योजनाओं पर काम शुरू हो गया है।
इस वक्त राम मंदिर के अलाचा पांच ऐसे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा हैए जो कि आने वाले समय में अयोध्या की तस्वीर बदल देंगे। एक तरफ जहां प्रभु श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, तो वहीं दूसरी तरफ जनवरी 2024 तक भगवान श्रीराम अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे। इसके साथ ही साथ अयोध्या को विश्व के मानचित्र पर पर्यटन की नगरी में भी विख्यात करने को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
राम नगरी में श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई असुविधा ना हो इसको लेकर 4 पथ का निर्माण किया जा रहा है। सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि तक लगभग 600 मीटर लंबा पथ निर्माण किया जा रहा हैए जिसका निर्माण जनवरी 2022 से शुरू हुआ है और दिसंबर तक इसको पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। करीब 39 करोड़ रुपए की इस योजना पर कार्य लगातार प्रगति पर है।
इसके अलावा सहादतगंज से लेकर राम पैड़ी तक लगभग 13 किलोमीटर राम पथ का निर्माण किया जाएगाए जिसमें लगभग 797 करोड़ों रुपए की लागत आएगी। इसके साथ ही भक्ति पथ जो सिंगार हाद से राम जन्मभूमि तक कि लगभग 800 मीटर लंबी सड़क होगीए जिसकी लागत लगभग 62 करोड़ रुपए है।
धर्म पथ 2 किलोमीटर का होगाण् यह राष्ट्रीय राजमार्ग से नया घाट यानी लता मंगेशकर चौक तक बनाया जाएगा। ऐसा भी कहा जा रही है कि यह दुनिया की सबसे हाईटेक सड़कों में से एक होगी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का काम लगभग 90 फीसदी पूरा कर लिया गया है। भगवान राम की मंदिर नुमा अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन को बनाया जा रहा हैए जिससे अयोध्या आने वाले पर्यटक या श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते ही उनको इस बात का आभास हो कि वह धर्म नगरी अयोध्या में हैं। दिसंबर 23 तक अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन यात्रियों के लिए खोल दिया जाएगा।
धर्म नगरी अयोध्या में बनने वाला एयरपोर्ट श्रीराम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। इसका निर्माण भी राम मंदिर के मॉडल पर किया जा रहा है। धर्म नगरी अयोध्या में बनने वाला एयरपोर्ट श्रीराम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। इसका निर्माण भी राम मंदिर के मॉडल पर किया जा रहा है। बीजेपी की मंशा यही है कि 2024 के आम चुनाव के पहले अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो जाएएताकि इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया जा सके। बीजेपी आलाकमान द्वारा 2024 के आम चुनाव में अयोध्या के साथ.साथ काशी और मथुरा को भी हवा दी जा रही है।