अयोध्या जिले के गोशाईगंज बाजार में समाजसेवी ने बुजुर्ग की मानवीय मदद। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। अगर आप ईश्वर को सचमुच ढूंढना चाहते हो तो उन्हें सजीवों में ढूंढो निर्जीव तो वैसे भी मृत पड़े हुए हैं। एक बुजुर्ग जो बिना स्नान के महीनों से ज़िंदगी के थपेड़े झेलते हुए उदासीन हो कर परेशान अवस्था में बैठा था।
समाजसेवी हनुमान सोनी की नजर पड़ी तो उसे अपने स्कूटी पर बैठाकर गोसाईगंज सीताराम घाट पर ले गये। सबसे पहले दाढ़ी-बाल बनवाया फिर उसे हनुमान सोनी ने शैंपू लगाकर अपने हाथों से रगड़ रगड़कर नहला धुला कर उसको साफ़-सुथरे नये कपड़े पहनाया। वहां देखने वालों दांतो तले उंगली दबा लिया सभी लोगों ने समाजसेवी हनुमान सोनी की खूब सहारना किया। हनुमान सोनी ने कहा कि हमें ऐसे लोगों की सेवा करने में बहुत सुकून मिलता है।
उन्होंने कहा हमारा मकसद फोटो खींचवाना नहीं है फोटो तो ऊपर वाले खींच रहे हैं। लेकिन यह दूसरों को आइना दिखाया जाता है कि ऐसे हमारे तरह कुछ लोग हो जाएं तो कोई असहाय बाजार में घूमता नजर नहीं आएगा यही प्रभु की सबसे बड़ी सेवा है।
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हनुमान सोनी ने बताया कि जब उसे नहला धुला कर नए कपड़े पहनाए तो उसका सूरत ही बदल गया फिर बुजुर्ग व्यक्ति के चेहरे की एक मुस्कराहट इतनी संतोषजनक होती है कि कभी अपने मकसद से पीछे हटने नहीं देती।” सोनी ने बताया कि जब हम कहीं अपनी कार से जाते हैं कुछ एक्स्ट्रा कपड़े भी अपने साथ रखे रहते हैं। ताकि रास्ते में ज़रुरतमंदों को दे सकें।
अपने इस काम में हनुमान इतने मग्न रहते कि सेवा करते समय वह अपनी दुकान को भी भूल जाते हैं उनकी दुकान गोसाईगंज भीटी चौराहे पर है जो सोनी सोने-चांदी के व्यापारी है। उनकी पत्नी भी उनके इस काम से काफ़ी प्रभावित होती और उन्होंने हमेशा उनका साथ दिया। यहाँ तक कि समाजसेवी हनुमान सोनी कई लावारिस का अंतिम संस्कार किया है। कई लावारिस को अर्थी कंधा भी दिया है।
सोनी कहते हैं कि वह और उनकी पत्नी किसी धर्म या जाति को नहीं मानते। उनके लिए सबसे बड़ा धर्म लोगों की सेवा करना है। साल 2005 के बाद उन्होंने खुद को जरूरतमंद असहाय मंदबुद्धि पागल के साथ-साथ पशु पक्षीयों की सेवा में अपने आप को पूरी तरह समर्पित कर दिया है। उन्होंने गोसाईगंज नगर में किसी के परिवार में मृत्यु हो जाती है तो उसके लिए एक स्वर्ग विमान डीलक्स वाहन बनवाया है। जो निःशुल्क गोसाईगंज नगर वासियों को उपलब्ध रहता है। ना उसमें आपको तेल भरना है। ना ड्राइवर को कुछ देना है।
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गोसाईगंज से दिलासीगंज घाट हो यह श्रृंगी ऋषि घाट हो वहा तक ले जाती है। जिसका पूरा खर्चा हनुमान सोनी जी उठाते हैं। गोसाईगंज नगर के बाहर अगर किसी परिवार में मृत्यु हो जाती है तो वहां तेल और ड्राइवर का खर्चा देना होता है। कोई गरीब व्यक्ति हैं तो वहां भी पैसा नहीं लिया जाता है। सोनी ने बताया कि “बस यूँ समझ लो कि इस काम में मुझे कभी भी पैसे की तंगी नहीं हुई। साल दर साल इतने सज्जन लोग जुड़ते रहे कि कोई पैसे देता तो कोई राशन पहुंचा जाता। कभी दो लोग दान देना बंद करते तो और चार लोग उन्हीं के माध्यम से दान देना शुरू कर देते। वैसे हम किसी से कुछ मांगते नहीं है लेकिन ऊपरवाला सब कुछ देखता है। बस इसी तरह कारवां चल रहा है,” उन्होंने हंसते हुए कहा।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह