क्या प्रातः काल नींद से जागने पर आप खुद को पसीने से लथपथ पाते हैं? पसीना भी ऐसा जिसे गर्मी या उमस मानकर टाला नहीं जा सका? तो यह स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चिंता हो सकती है. जानिए इसी बारे में –
5 कारण, जिनसे रात में भी आता है पसीना-
1. हार्मोन इम्बैलेंस:
यदि आप महिला हैं व आयु 40 वर्ष से ज्यादा है तो मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की आरंभ रात में आने वाले पसीने का कारण हो सकती है. औसतन शहरों में स्त्रियों को 46 की आयु के बाद मेनोपॉज होता है. मेनोपॉज एक तरह से हार्मोन्स का रोलर-कोस्टर है, जिसके कारण शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते हैं. रात में आने वाला पसीना भी मेनोपॉज का एक लक्ष्ण है. यह नुकसानदायक नहीं है बशर्ते नींद में कोई खलल न पड़े.
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर से लड़ चुकी स्त्रियों में मेनोपॉज के बाद रात में पसीने की शिकायत रहती है. कैंसर पीड़ित करीब दो तिहाई स्त्रियों में यह शिकायत पाई गई है. कैंसर के उपचार के कारण भी मेनोपॉज होता है व कुछ मामलों में यही स्थिति रात के पसीने का कारण बनती है.
इसके अतिरिक्त हार्मोन इम्बैलेंस के अन्य कारण होते हैं – डायबिटीज, प्रेग्नेंसी व एचआईवी इन्फेक्शन जो नींद में पसीने का कारण बनते हैं. हिंदुस्तान में डायबिटीज के सबसे ज्यादा मरीज हैं. यदि आपके परिवार में भी किसी को डायबिटीज रही है व आपको रात में पसीना आता है तो तत्काल चिकित्सक से मिलें.
2. टीबी:
टीबी (टुबर्क्यलोसिस यानी तपेदिक या क्षय रोग) का प्रभाव फेंफड़ों पर सबसे ज्यादा पड़ता है. वहीं इसके लक्षणों में रात में पसीना आना, वजन घटना व बुखार भी शामिल है. टीबी के केस में 45 प्रतिशत मरीजों को रात में पसीना आता है.
3. कैंसर:
कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, विशेष प्रकार के कैंसर में मरीज को रात में पसीना आता है. शोधकर्ताओं की नजर में इसका कारण यह है कि जब शरीर कैंसर से लड़ रहा होता है, तब इम्युन सिस्टम इन्फेक्शन जैसे लक्षण प्रस्तुत करता है. इस कारण रात में बुखार व पसीना आता है.
ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, स्तन कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर के मरीजो को भी रात में पसीने की शिकायत रहती है.
4. ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया:
स्लीप एपनिया एक तरह की बीमारी है, जिसमें मरीज सोते समय अच्छा से सांस नहीं ले पाता है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या OSA से पीड़ित लोग जैसे ही सोते हैं या रिलेक्स स्थिति में होते हैं, गले की मांशपेशियां श्वास नली को ब्लॉक कर देती है. इसका प्रभाव शरीर की ऑक्सीजन सप्लाय पर पड़ता है. यही कारण है कि OSA के मरीज रात में कई बार जागते हैं.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, OSA से पीड़ित 30.6% पुरुष व 33.3% महिलाएं रात के पसीने से परेशान रहते हैं. वहीं सामान्य पुरुषों व स्त्रियों में यह आंकड़ा क्रमशः 9.3% व 12.4% रहता है.
5. गैस्ट्रोएसोफगियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD):
गैस्ट्रोएसोफगियल रिफ्लक्स डिजीज एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल डिसऑर्डर है जिसमें सोते समय भोजन नलिका में बना एसिड पेट में जमा होता है. इससे सीने में जलन होती है व सोते समय भी पसीना आता रहता है.
जानिए क्या है इलाज
इसके उपचार के रूप में चिकित्सक एंटीबायोटिक्स, एंटीडिपेंटेंट्स, एंटीकॉन्वल्सेन्ट्स देते हैं. यदि हार्मेन्स इम्बैलेंस के कारण ऐसा रहा है तो हार्मोन्स थैरेपी उपलब्ध हैं. कुछ मरीजों में गहरी सांस लेने व गर्मी पेय पदार्थों से बचना अच्छा साबित हुआ है. यदि स्तन कैंसर से पीड़ित स्त्रियों को इस तरह पसीना आता है तो चिकित्सक एंटी-बायोटिक लेने की सलाह देते हैं.