राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का मानना है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुसलमानों को उनके समाज के लोग ही डरा रहे हैं। कहा कि कानून के प्रारूप पर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। इस डर और भ्रम को दूर करने के लिए मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध लोगों को ही आगे आना होगा।
संघ प्रमुख ने अपना यह विचार रविवार को शहर के गण्यमान्य लोगों से बातचीत के दौरान साझा किया। हालांकि सीएए को लेकर गण्यमान्य लोगों की ओर से कई सवालों को संघ प्रमुख यह कहकर टाल गए कि यह राजनीतिक मसला है, इस पर उन्हें कुछ नहीं कहना।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने जाति व वर्ग विभेद को समाज के लिए अभिशाप बताया। कहा कि इस विभेद के चलते ही दलितों की लंबे समय तक उपेक्षा हुई है।
विभेद का कोई यथोचित तर्क नहीं है, इसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।
बातचीत में उन्होंने कहा कि समाज के विकास में सभी वर्ग के लोगों को अपना स्थान सुनिश्चित करना चाहिए। आमदनी का एक हिस्सा समाज पर खर्च करना चाहिए।
संघ प्रमुख से मिलने वालों में साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी, गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएन सिंह, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह, उद्योगपति चंद्रप्रकाश अग्रवाल, अमर तुलस्यान, डॉ. महेंद्र अग्रवाल, डॉ. अमित सिंह, डॉ. जेपी जायसवाल, डॉ. वीरेंद्र गुप्ता आदि शामिल रहे।