अलीगढ़: सवा सौ साल पहले सर सैय्यद अहमद खां के संगठन ने एएमयू से जमीन किराये पर लेकर वहां आवास और दुकान बनाए थे। इन कोठियों को उस समय पचास से सौ रुपये के किराये पर दे दिया था। लेकिन अब उन्हीं किरायेदारों ने इन आवासों को पांच से दस हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर उठा रखा है। इनमें चालीस बड़ी कोठियां हैं जबकि 45 दुकानें हैं। अब इंतजामिया ने किरायेदारों को नोटिस जारी करने शुरू कर दिए हैं। इनसे कहा जा रहा है कि या तो आवास खाली करो यो फिर किराया बढ़ाओ।
एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा को बढ़ाने के लिए 1886 में दि मोहम्मडन एजुकेशनल कांग्रेस की स्थापना की थी। 1890 में इस संगठन का नाम दि मोहम्मडन एजुकेशनल कांफ्रेंस किया गया। इस संगठन को सड़क किनारे की जमीन 75 रुपये के वार्षिक किराये पर दी गई। इस जमीन पर संगठन द्वारा अपना कार्यालय, 40 आवासीय भवन और 45 दुकानें बनाई गईं। भवन और दुकानों के किराये से संगठन की गतिविधियों को संचालित किया जाना था। जमीन का मालिकाना हक एएमयू और भवनों का किराया लेने की जिम्मेदारी संगठन की थी। इसी दौरान सर सैयद अहमद खां द्वारा स्थापित मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज भी चल रहा था, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। अब इस संगठन का नाम दि ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशनल कांफ्रेंस है।
किराये की रसीद
एएमयू ने लगातार विस्तार किया, लेकिन देखरेख के अभाव में संगठन का कार्यालय बदहाल होकर कूड़ाघर बन गया। करोड़ों की कीमत की कोठियों और दुकानों पर लोग मामूली किराये पर काबिज हो गए। शमशाद मार्केट के रूप में यह दुकानें स्थापित हैं। आज भी इन भवनों का किराया 100 रुपये से 500 रुपये मासिक है। शमशाद मार्केट की दुकानों की आय हजारों रुपये प्रतिदिन है और बताया जाता है कि आवासों में भी एएमयू के छात्रों को किराये पर रखकर मोटी कमाई की जा रही है। प्रति माह पांच से दस हजार किराया लिया जा रहा है।