हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी रोग के कारण होती है। आंकड़ों के अनुसार भारत में ड्रग रेजिसटेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के एक लाख में से लगभग नौ मरीज हैं। पहले बड़ी टी.बी. या एम.डी.आर. टी.बी. के इलाज में दो साल तक का समय लग जाता था, परन्तु अब नई दवाओं के आने से एक साल से कम समय में मरीज का इलाज हो जाता है।– डॉ. सूर्यकांत
- Published by- @MrAnshulGaurav, Written by–Daya shankar Chaudhary
- Friday, 04 Febraury, 2022
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने शुक्रवार को, अपनी स्थापना का 75वां वर्ष मनाया। साथ ही, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत, ‘आई डिफीट टीबी‘ प्रोजेक्ट को पूरे भारत में शुरु किया गया। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत, पूरे जिले में केजीएमयू को ‘Centre of Excellence’ चुना गया है। यह “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“, विश्व की दो अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं इन्टरनेशनल यूनियन अंगेस्ट ट्यूबरकुलोसिस एण्ड लंग डिज़ीज़ और युनाईटेड स्टेस ऑफ एजेन्सी फॉर इन्टरनेशनल डेवलपमेन्ट के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से प्रारम्भ किया गया है।
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इस अवसर पर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकांत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत पूरे विश्व में टीबी रोग से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश बन चुका है। डा. सूर्यकान्त जो उप्र स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं। विगत कई वर्षों से टी.बी. उन्मूलन में प्रदेश के साथ साथ देश में नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ के टीबी प्रोजेक्ट इसीएचओ का नोडल ऑफिसर डा. ज्योति बाजपेई, अस्सिटेन्ट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को नियुक्त किया गया है। डा. सूर्यकांत ने बताया कि विश्व में टी.बी. का हर चौथा मरीज भारतीय है। विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौत टी.बी. से होती हैं, उनमें से एक चौथाई से अधिक मौत अकेले भारत में होती हैं। भारत विश्व का टी.बी. रोग से सर्वाधिक प्रभावित देश है।
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देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी रोग के कारण
हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी रोग के कारण होती है। आंकड़ों के अनुसार भारत में ड्रग रेजिसटेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के एक लाख में से लगभग नौ मरीज हैं। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का सपना देखा है। टी.बी. के इलाज में पिछले कुछ वर्षों से बहुत प्रगति हुई है, पहले बड़ी टी.बी. या एम.डी.आर. टी.बी. के इलाज में दो साल तक का समय लग जाता था, परन्तु अब नई दवाओं के आने से एक साल से कम समय में मरीज का इलाज हो जाता है।
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विभिन्न माध्यमों से टी.बी. के प्रति लोगों को किया जा रहा है जागरूक
पिछले कुछ वर्षों में एम.डी.आर. टी.बी. के रोगियों को सुई लगने वाले इलाज से मुक्ति मिली है, अब इनका इलाज खाने की गोलियों से हो जाता है। इसमें रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने टी.बी. उन्मूलन में विभाग की ओर से किये जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे– गाँव अर्जुन पुर व मलिन बस्ती ऐशबाग, लखनऊ एवं टी.बी. रोग से पीड़ित 52 बच्चों को गोद लेना, विभिन्न माध्यमों से टी.बी. के प्रति लोगों को जागरूक करना आदि से अवगत कराया।
75 जिलों में टी.बी. विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आनलाईन दिया जाएगा प्रशिक्षण
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि टी.बी. प्रोजेक्ट एक्सटेंशन फॉर कम्यूनिटी हेल्थ आउटकम्स (इसीएचओ) विश्व स्तर पर टी.बी. के मरीजों की बेहतरी के लिए काम करता है। हमारे विभाग को इस प्रोग्राम से टी.बी. उन्मूलन में सहायता मिलेगी। ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए उप्र के सभी 62 मेडिकल कालेज और सभी 75 जिलों में टी.बी. विशेषज्ञों और टी.बी. से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आनलाईन प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नये शोध एवं नवीन विषयों पर सेमिनार आयोजित कराये जायेंगें।
इस अवसर पर स्टेट टी.बी. ऑफिसर डा. संतोष गुप्ता ने कहा कि ड्रग रेजिसटेन्ट ट्यूबरकुलोसिस एवं टी.बी. उन्मूलन के क्षेत्र में इस सेन्टर के बनने से मदद मिलेगी। प्रोग्राम का संचालन रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की डा. ज्योति बाजपेई, अस्सिटेन्ट प्रोफेसर द्वारा किया गया । इस अवसर पर डब्लूएचओ कंसलटेन्ट– डा. अपर्णा एवं के.जी.एम.यू. के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक – डा आर एस कुशवाहा, डा. सन्तोष कुमार, डा. राजीव गर्ग, डा. अजय कुमार वर्मा, डा. आनन्द श्रीवास्तव, डा. दर्शन बजाज, रेजिडेन्ट डाक्टर्स, डाट्स सेन्टर के समस्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे ।