न्यूयॉर्क,(शाश्वत तिवारी)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश (P Harish) ने गुरुवार को यूएनजीए में यूएन-यूएनआईएस 2025 पैनल चर्चा के दौरान एआई को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
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भारतीय राजदूत ने सुशासन और विकासात्मक प्रथाओं के लिए एआई को एकीकृत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला। संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए हरीश ने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास को गति देने के लिए एक पुल का काम करती है। उन्होंने बताया कि भारत आर्थिक और विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एआई का लाभ कैसे उठा रहा है।
न्यूयॉर्क स्थित यूएन में भारत के स्थायी मिशन ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर भारतीय राजदूत के संबोधन की एक वीडियो क्लिप साझा की है। अपने संबोधन के दौरान हरीश ने राष्ट्रीय बायोमेट्रिक सिस्टम और वित्तीय समावेशन पहल जैसे उदाहरणों का हवाला दिया, जो विकास में एआई के भारत के एकीकरण को प्रदर्शित करने वाले प्रमुख उपाय हैं।
हरीश ने कहा हमने राष्ट्रीय एआई मिशन और सिस्टम को इस तरह से एकीकृत किया है कि यह देशों के भीतर और उनके बीच डिजिटल विभाजन को दूर करने में मदद करता है। हम इस नए युग में किसी को भी डिजिटल रूप से पीछे नहीं छोड़ सकते। दिल्ली या मुंबई में सब्जी बेचने वाले को अब नकद भुगतान के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता। भले ही वे अनपढ़ हों, वे दैनिक व्यवसाय करने के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।
हरीश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने ओपन-सोर्स प्रारूप में कई डिजिटल गवर्नेंस टूल विकसित किए हैं और उनके सोर्स कोड को ऑनलाइन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि एआई सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, क्योंकि वैश्विक स्तर पर, हम डिजिटल और एआई युग में किसी भी देश को पीछे नहीं छोड़ सकते।