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इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला शर्मनाक, न्यायपालिका की साख पर गहरी चोट: अनीस मंसूरी

लखनऊ,(दया शंकर चौधरी )। पसमांदा मुस्लिम समाज (Pasmanda Muslim Society) के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी (President and Former Minister Anees Mansuri) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के हालिया फैसले पर (Recent Decision) कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि महिला के निजी अंग पकड़ना, उसके कपड़ों से छेड़छाड़ करना और उसे घसीटने की कोशिश करना किसी भी सभ्य समाज (civilized society) में अस्वीकार्य कृत्य हैं। ऐसे मामलों को अपराध की ‘तैयारी’ और ‘वास्तविक प्रयास’ के बीच के अंतर का बहाना बनाकर हल्का करना न्याय की भावना के साथ भद्दा मज़ाक है।

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अनीस मंसूरी ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ‘यौन इरादे’ से किया गया कोई भी कृत्य यौन हमले के दायरे में आता है। फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह कहना कि महिला के अंग पकड़ना और उसके कपड़ों की डोरी तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं है, पूरी न्यायपालिका की साख पर गहरी चोट है।

अनीस मंसूरी ने चेतावनी दी कि यह फैसला महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देगा और अपराधियों को कानूनी संरक्षण देने जैसा है। यदि एक महिला पर बलपूर्वक हमला किया जाता है, उसके कपड़ों से छेड़छाड़ की जाती है, और फिर भी इसे ‘दुष्कर्म की कोशिश’ न मानकर केवल अपराध की ‘तैयारी’ करार दिया जाता है, तो यह न्याय के नाम पर अन्याय का खुला उदाहरण है।

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पसमांदा मुस्लिम समाज इस फैसले की कड़ी भर्त्सना करता है और सरकार व उच्चतम न्यायालय से अपील करता है कि इस फैसले की तुरंत समीक्षा की जाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्पष्ट एवं कठोर कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। यदि इस तरह के फैसले जारी रहे, तो महिलाओं का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा और समाज में कानून का डर समाप्त हो जाएगा।

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