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भारत ने श्रीलंका को दिए धार्मिक स्‍थलों के लिए सोलर रूफटॉप सिस्टम

कोलंबो। भारत ने श्रीलंका को धार्मिक स्‍थलों के लिए सोलर रूफटॉप सिस्टम प्रदान किए हैं, जो पड़ोसी देश के साथ भारत की लगातार मजबूत होती ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और बढ़ते ऊर्जा सहयोग को दर्शाता है।

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भारत सरकार के 17 मिलियन डॉलर यानी करीब 143 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत श्रीलंका में विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थलों-होकनदारा स्थित बौद्ध मंदिर, अंजनेयर मंदिर, सेंट एंथनी चर्च और मुतवल जुमा मस्जिद को सोलर पैनल सौंपे गए हैं। श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग, सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) और श्रीलंका सतत ऊर्जा प्राधिकरण (एसएलएसईए) के अधिकारियों ने एक कार्यक्रम के दौरान धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को सोलर पैनल सौंपे।

भारत ने श्रीलंका को दिए धार्मिक स्‍थलों के लिए सोलर रूफटॉप सिस्टम

कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा, यह कार्यक्रम भारत द्वारा श्रीलंका में 5000 धार्मिक स्थलों पर सौर पीवी रूफटॉप सिस्टम स्थापित करने के उद्देश्य से दी गई 17 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता का हिस्सा है। इस परियोजना का उद्देश्य इन संस्थानों के लिए ऊर्जा लागत को कम करना है और साथ ही श्रीलंका के स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन को बढ़ावा देना है।

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दूतावास ने कहा पांच हजार सौर रूफटॉप सिस्टम श्रीलंका के सभी नौ प्रांतों और 25 जिलों में स्थापित होंगे, जिसमें बौद्ध, हिंदू, ईसाई और इस्लाम से जुड़े प्रमुख धार्मिक स्थल शामिल होंगे। यह परियोजना अक्षय ऊर्जा में द्विपक्षीय सहयोग के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

भारत ने श्रीलंका को दिए धार्मिक स्‍थलों के लिए सोलर रूफटॉप सिस्टम

यह परियोजना 25 मेगावाट सौर क्षमता का इजाफा करेगी, जिससे सालाना लगभग 37 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी, जो श्रीलंका सरकार की ‘लोगों पर केंद्रित एनर्जी ट्रांजिशन’ नीति का समर्थन करती है। इस परियोजना के अगले साल की शुरुआत तक पूरा होने की उम्मीद है। सिस्टम की आपूर्ति और स्थापना के अलावा परियोजना में दीर्घकालिक दक्षता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए 5 साल की रखरखाव अवधि भी शामिल है।

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बता दें कि विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की हाल की श्रीलंका यात्रा के दौरान, भारत ने अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत श्रीलंका की प्राथमिकता वाली द्विपक्षीय परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई थी। यह पहल इन प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देती है।

रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी

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