भारत ने चीन के उस तर्क को खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा है कि 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को अपडेट करना सैन्य तनाव का ‘कारण’ है. भारत का कहना है कि सीमा के उस पार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पहले ही निर्माण किया है और सड़कों व कम्यूनिकेशन नेटवर्क का काम जारी है.
एक रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘पहली बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सोमवार को उद्घाटन किए गए पुल एलएसी से दूर हैं जो सिविल मूवमेंट और मिलिट्री लॉजिस्टिक्स सुविधा प्रदान देंगे. दूसरा चीन ने मौजूदा सैन्य-कूटनीतिक वार्ता में भारत द्वारा बुनियादी ढांचे में किये जा रहे बदलाव का मुद्दा नहीं उठाया है.
तीसरा, एलएसी के करीब पीएलए की सड़क, पुल, ऑप्टिकल फाइबर, सोलर-हीटेड हट्स और मिसाइल तैनाती के बारे में क्या कहा जाएगा? एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत केवल एलएसी में अपनी सीमा के भीतर ही बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और इसके लिए हमें चीन की परमिशन की जरूरत नहीं है.’
सैन्य कमांडरों के अनुसार PLA ने गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में सिक्योर्ड कम्यूनिकेशन के लिए ऑप्टिकल फाइबर लगाए हैं. साथ ही पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर फॉरवर्ड पोस्ट के सैनिकों के लिए आवास के रूप में सोलर हीटेड कंटेनरों का इस्तेमाल किया है. इसके साथ ही वहां एक अस्पताल बनाया है ताकि उनके किसी सैनिक को कुछ होने पर मदद मिल सके.’
चीनी मामलों के जानकारों का कहना है कि पीएलए, लद्दाख में भारतीय बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर इसलिए चिंतित है क्योंकि यह पाकिस्तान के लिए अरबों डॉलर के पाकिस्तान आर्थिक गलियारे, या CPEC के लिए एक सैन्य खतरा पैदा कर सकता है, जो कि खुंजेर दर्रा और पाकिस्तान से होकर गुजरता है.