नई दिल्ली। भारत ने पिछले कई वर्षों के दौरान युद्ध, प्राकृतिक आपदा या संघर्ष की स्थितियों से जूझ रहे विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में भारतीयों और विदेशी नागरिकों को बाहर निकाला है। भारत सरकार ने कोविड19 महामारी के दौरान वर्ष 2020 में 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को आपदाग्रस्त देशों से बाहर निकाला। यह जानकारी विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में सांसद रेखा शर्मा द्वारा विगत पांच वर्षों के दौरान विभिन्न देशों में संघर्ष की स्थिति में फंसे नागरिकों की सुरक्षित निकासी संबंधी सवाल का जवाब देते हुए दी।
सिंह ने बताया कि वंदे भारत मिशन और एयर बबल करार के तहत वर्ष 2020 में 102 देशों से कुल 1.594 करोड़ व्यक्तियों (विदेशी नागरिकों सहित) को निकाला गया, जिस पर भारत सरकार की ओर से 22.54 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके अलावा 2020 में ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत श्रीलंका, मालदीव और ईरान से 3992 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
राज्य मंत्री ने आगे बताया कि 2022 में ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफ़ग़ानिस्तान से 669, 2022 में ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन से 18282, 2023 में ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से 4097 (136 विदेशी नागरिक) भारतीयों को निकाला गया। 2023 में ऑपरेशन अजय के तहत इजरायल से 1343, 2024 में ऑपरेशन इंद्रावती के तहत हैती से 17 जबकि 2024 में ही सीरिया से 77 नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित की गई।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार राज्य मंत्री ने कहा सरकार विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार और विदेशों में स्थित भारतीय मिशन विशेष रूप से युद्ध क्षेत्रों में घटनाक्रमों के अनुसार, भारतीय नागरिकों को अनावश्यक यात्रा से बचने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए सलाह जारी करते हैं।
निकासी प्रक्रिया के दौरान भारतीयों की सुरक्षा के लिए सरकार राजनयिक चैनलों के माध्यम से अपने समकक्षों के साथ लगातार संपर्क में रहती है। प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए मुख्यालय और विदेशों में चौबीसों घंटे नियंत्रण कक्ष संचालित किए जाते हैं।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी