अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से अदाणी समूह पर लगाए गए आरोपों के चलते कुछ भारतीय और वैश्विक बैंक नई परिस्थितियों में समूह को नए ऋण देने पर अस्थायी रोक लगा सकती हैं। वे कोई भी नया ऋण अनुरोध शुरू करने से पहले तीन-चार महीने इंतजार करेंगे।
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बंदरगाहों से लेकर बिजली तक के कारोबार में दखल रखने वाले अदाणी समूह में भारतीय सरकारी बैंकों के निवेश को लेकर चिंता के चलते बृहस्पतिवार को इनके शेयरों में 2.7% की गिरावट आई थी। हालांकि भारतीय सरकारी बैंकों के शेयरों में शुक्रवार को तेजी देखी गई।
इस बीच, एक बैंकर ने कहा कि आरोप भारत और अन्य देशों में विस्तार के लिए अदाणी समूह की फंड जुटाने की योजनाओं पर असर डाल सकता है, क्योंकि इससे न केवल आरोपों के नतीजे पर बल्कि समूह के जोखिम पर भी ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि भविष्य का कदम काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत सरकार समस्या हल करने का रास्ता तलाशेगी या अपनी जांच शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे की यह दिग्गज कंपनी अब भारत के लिए बहुत बड़ी हो गई है जिसे आसानी से यूं ही छोड़ा नहीं किया जा सकता।
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अदाणी ग्रीन को फंड जुटाने में हो सकती है मुश्किल
क्रेडिट विश्लेषकों का कहना है कि आरोपों के चलते ग्रीन एनर्जी को फंड जुटाने में मुश्किल आ सकती है। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भी चेतावनी दी कि समूह को अपनी बड़ी विकास योजनाओं के लिए इक्विटी और ऋण बाजारों तक नियमित पहुंच की जरूरत होगी, लेकिन इसे कम खरीदार मिल सकते हैं।
स्वतंत्र विश्लेषक निमिश माहेश्वरी ने कहा कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में इस विवाद के चलते कम अंतरराष्ट्रीय निवेश आ सकता है। निवेशक यह भी देख रहे हैं कि आरोपों के चलते अदाणी के और सौदे रद्द हो सकते हैं या नहीं। केन्या ने आरोपों के बाद समूह के साथ प्रस्तावित समझौते रद्द कर दिए हैं।