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विश्व कल्याण का भारतीय विचार

1925 में विजय दशमी पर डॉ हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की स्थापना की थी. इसी दिन प्रभु श्री राम ने लंका विजय की थी. असत्य अहंकार अधर्म पर यह सत्य और धर्म की विजय थी. डॉ हेडगेवार संघ के माध्यम से भारत के इसी स्वाभिमान को जागृत करना चाहते थे. संघ लगातर इस दिशा में बढ़ रहा है. यह दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है. विजय दशमी पर मुख्य समारोह नागपुर में होता है।

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इस समारोह में सर संघचालक का मार्गदर्शन मिलता है. इस बार प्रसिद्ध गायक पद्मश्री शंकर महादेवन मुख्य अतिथि थी. यह नया अनुभव था. उन्होंने भगवती श्लोक से अपना संबोधन शुरू किया. मैं रहूं ना रहूं यह देश रहना चाहिए, इस गीत से संबोधन पूरा किया. कहा कि भारत का पूरी दुनिया में प्रभाव बढ़ा है. दुनिया में भारतीयों को बहुत सम्मान मिलने लगा है. डॉ मोहन भागवत ने 20 शिखर सम्मेलन का उल्लेख किया।

विश्व कल्याण का भारतीय विचार

भारत के सनातन चिंतन के प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ा है. वसुधैव कुटुम्बकम का विचार भारतीय विरासत है. इस पर अमल से ही विश्व में शांति सौहार्द सम्भव है. अन्य कोई मार्ग नहीं है. इसी प्रकार पर्यावरण समस्या का समाधान भी भारतीय चिंतन से हो सकता है. लेकिन इसके पहले भारत को अपनी विरासत पर गर्व करना सीखना होगा।

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उसके अनुरूप आचरण करना होगा. सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है. प्रशासन और समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा. आज भी कल्चरल कम्युनिस्ट सनातन विरोधी सक्रिय हैं. इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है. ऐसे तत्व भारत को कमजोर करना चाहते हैं. भारतीय संस्कृति का विरोध करते हैं. भारत विरोधी विमर्श चलाते हैं. देश हित में इनका प्रतिकार करना होगा।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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