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भारतीय रेल ने दिल्‍ली मण्‍डल में समूची ब्रॉड गेज लाइन के विद्युतीकरण के साथ एक उल्‍लेखनीय उपलब्‍धि हासिल की

• कुल 1454 रूट किलोमीटर और 3266 ट्रैक किलोमीटर को शतप्रतिशत विद्युतीकृत किया गया

• आयातित कच्‍चे तेल और कार्बन फुट प्रिंट पर निर्भरता कम होगी

नई दिल्‍ली। भारतीय रेल ने उत्‍तर रेलवे के दिल्‍ली मण्‍डल के अंतर्गत आने वाले समूचे ब्रॉड गेज रेलमार्ग का विद्युतीकरण करके एक महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धि हासिल की है। इससे इस क्षेत्र में रेल संपर्क बेहतर होगा और रेलगाड़ियों की गतिसीमा भी बढ़ेगी। 85 प्रतिशत विद्युतीकृत रूट किलोमीटर के साथ भारतीय रेल मिशन शतप्रतिशत विद्युतीकरण को पूरा करने की ओर तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेल नेटवर्क बन गया है।

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अप्रैल 1864 में अस्‍तित्‍व में आया दिल्‍ली मण्‍डल भारतीय रेल पर यात्रियों, पर्यटकों और पर्यावरण अनुकूलता की दृष्‍टि से भारतीय रेल का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण और अग्रणी मण्‍डल है। पूरी तरह से कम्‍प्‍यूटरीकृत आरक्षण प्रणाली लागू करने वाला यह भारतीय रेल का पहला मण्‍डल है।

देश की पहली राजधानी एक्‍सप्रेस, पहली शताब्‍दी एक्‍सप्रेस और हाईस्‍पीड गतिमान रेलगाड़ियां दिल्‍ली मण्‍डल से शुरू की गईं। पहली सीएनजी रेलगाड़ी भी दिल्‍ली मण्‍डल से ही चलाई गई । यह उत्‍तर रेलवे के 50 प्रतिशत माल लदान और 50 प्रतिशत यात्री यातायात को अकेले वहन करने वाला मण्‍डल है। इस प्रकार यह मण्‍डल भारत के प्रत्‍येक भाग के लिए यात्री और माल रेलगाड़ियों के संचालन से ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था और जनजातीय कल्‍याण में भी योगदान दे रहा है।

वर्तमान में दिल्‍ली मण्‍डल पर 1454 रूट किलोमीटर है और विद्युतीकरण की दृष्‍टि से कुल ट्रैक किलोमीटर 3266 किलोमीटर है। वर्ष 2021-2022 में शतप्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्‍य हासिल करके भारतीय रेल के सर्वाधिक विद्युतीकृत ट्रैक किलोमीटर वाला मण्‍डल बन गया है। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करने वाला यह उत्‍तर रेलवे का पहला मण्‍डल है।

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दिल्‍ली मण्‍डल के विद्युतीकरण का कार्य दो चरणों में पूरा किया गया। पहले चरण में, 20 वर्ष की अवधि के दौरान स्‍वर्णिम चतुर्भुज अर्थात गाजियाबाद-नई दिल्‍ली, नई दिल्‍ली-पलवल और दिल्‍ली-अम्‍बाला के महत्‍वपूर्ण सैक्‍शनों को विद्युतीकृत किया गया। दूसरे चरण में, नौ वर्ष की अवधि में वर्ष 2013 से 2022 तक शेष गैर-विद्युतीकृत सैक्‍शन अर्थात दिल्‍ली-बठिंडा, दिल्‍ली-रेवाड़ी और गाजियाबाद-सहारनपुर सहित सभी ब्रांच लाइनों को विद्युतीकृत किया गया है।

वर्तमान में, दिल्‍ली मण्‍डल की कुल अवस्‍थापित क्षमता 17 कर्षण सब-स्‍टेशन और 106 स्‍विचिंग पोस्‍टों वाले 734 एमवीए (मेगा वोल्‍ट एम्‍पियर) की है। रेलगाड़ियों की बढ़ती हुई संख्‍या और हाईस्‍पीड़ रेलगाड़ियों के चलने को ध्‍यान में रखते हुए नई दिल्‍ली–पलवल और नई दिल्‍ली-गाजियाबाद-चिपयाना सैक्‍शनों के बीच ओएचई को 2X25 केवी कर्षण प्रणाली में अपग्रेड करने का कार्य प्रगति पर चल रहा है । साथ ही, दिल्‍ली-अम्‍बाला सैक्‍शन के ओएचई को भी 2X25 केवी कर्षण प्रणाली में अपग्रेड करना विचाराधीन है।

दिल्‍ली मण्‍डल के अंतर्गत शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करके पर्यावरण के अनुकूल रेल परिवहन प्रणाली का माध्‍यम उपलब्‍ध कराया गया है । इससे आयातित कच्‍चे तेल पर निर्भरता कम होगी और मूल्‍यवान विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

• वर्तमान में विद्युतकर्षण पर स्विच करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं।
• पर्यावरण के अनुकूल परिवहन के साधन।
• आयातित डीज़ल ईंधन पर निर्भरता कम हुई है, जिससे क़ीमती विदेशी मुद्रा की बचत हुई और कार्बन फ़ुटप्रिंट्स में कमी आई है।
• परिचालन लागत में कमी।
• इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च ढुलाई क्षमता वाली भारी मालगाड़ियों और लंबी यात्री ट्रेनों के परिचालन से थ्रूपुट में वृद्धि हुई है।
• कर्षण परिवर्तन का अवरोध हटने से सेक्‍शन की गति क्षमता में वृद्धि हुई है।
• विशिष्ट ऊर्जा खपत की बचत।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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