आरबीआई के 90वें साल में प्रवेश करने पर पीएम मोदी ने देश की बैकिंग व्यवस्था पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मैं आरबीआई के 80 साल पूरे होने के कार्यक्रम में शामिल हुआ था, तब स्थिति बहुत अलग थी। भारत का पूरा बैंकिंग क्षेत्र समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। हर कोई भारत की बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता और भविष्य को लेकर संशय में था।
पीएम के अनुसार स्थिति इतनी खराब थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश की आर्थिक प्रगति को पर्याप्त बढ़ावा देने में सक्षम नहीं थे। और आज, भारत की बैंकिंग प्रणाली को दुनिया में एक मजबूत और टिकाऊ बैंकिंग प्रणाली के रूप में देखा जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक के 90 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारी सरकार ने मान्यता, संकल्प और पुनर्पूंजीकरण की रणनीति पर काम किया। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति में सुधार के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया, शासन से संबंधित सुधार किए। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की नई व्यवस्था से करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये के लोन का समाधान हुआ।
कार्यक्रम के दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “एक संस्था के रूप में आरबीआई का विकास भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। केंद्रीय बैंक होने के नाते, आरबीआई ने बाजार व अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रवर्तक के रूप में काम किया है।”
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हाल के वर्षों में दिवाला और दिवालियापन संहिता के अधिनियमन और लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को अपनाने जैसे सुधारों ने हमें बैंकिंग प्रणाली की चुनौतियों से निपटने और मूल्य स्थिरता को अधिक प्रभावी ढंग से बनाए रखने के कार्य में मदद की है। आज की दुनिया में हो रहे तेजी से हो रहे बदलावों को देखते हुए… रिजर्व बैंक लगातार उभरते रुझानों का मूल्यांकन कर रहा है और बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए आवश्यक नीतिगत उपाय कर रहा है।