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किताब की जगह हाथ में मोबाइल बिगाड़ रहे हमारे बच्चों का भविष्य

हमारे जीवन पर मोबाइल फोन किस तरह हावी है इसे हम सभी भली भांति जानते हैं। हमारे दिन की शुरुआत पूजा-आराधना के बजाय मोबाइल फोन से होती है। थोड़ी देर के लिए यदि हम इससे दूर होते हैं तो बहुत ही असहज और एकाकी का अनुभव करने लगते हैं। हमें लगता है कि कोई बहुत ही अनमोल चीज हमसे दूर हो गई है जिसके बिना रह पाना बड़ा मुश्किल है। मोबाइल फोन के बहुत सारे सुखद परिणाम भी हैं, किंतु इसके दुष्परिणामों की संख्या कहीं अधिक है। जिसके कारण कहीं न कहीं हम इसके शिकार होते रहे हैं। आज ऐसे ही एक दुष्परिणाम हमारे लिए विचारणीय है।

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मोबाइल धीरे-धीरे हमारे बच्चों के भी मनोमस्तिष्क पर हावी होता जा रहा है। किताब की जगह उनके हाथ में मोबाइल निश्चित रूप से ही बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहा है। जिसमें उन्हें गेम खेलने की लत और दोस्तों के साथ गपशप, उनके मानसिक विकास को अवरूद्ध कर रह है। ऐसी लत निश्चित रूप से ही बच्चों को किताबों से दूर ले जाती है, जिसके कारण बच्चों को किताबी दुनिया रास नहीं आती है। और वे मोबाइल फोन को ही अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं। बच्चों का यही मोबाइल के प्रति लगाव उन्हें उनके उज्ज्वल भविष्य निर्माण को अवरूद्ध करने में सहायक की भूमिका निभा रहा है। पुस्तकीय ज्ञान से ही हमारे बच्चों में एक अच्छे संस्कार एवं उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होता है ,जो कि हमारे शास्त्र और ग्रंथ इसके साक्षी हैं।

बच्चों में किताबों के प्रति अरुचि बढ़ती जा रही है, इसके बहुत सारे कारण हैं। जिसका चिंतन और निवारण हमें अवश्य करना चाहिए, जिससे कि हमारे बच्चों का उज्ज्वल भविष्य अंधकारमय न बने। आज ऐसे ही कुछ कारणों का उल्लेख करना आवश्यक है, जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ही इसके जिम्मेदार हैं…

1. विद्यालयों की आधुनिक शिक्षा नीति
2. पाठ्यक्रम में डिजिटल व्यवस्था पर अधिक जोर
3. पौराणिक कथाओं एवं शिक्षण मान्यताओं के प्रति अरुचि
4. माता-पिता द्वारा बच्चों में आधुनिक संस्कार रोपित करने की होड़
5. कल, आज और कल में सामंजस्य का अभाव

उपरोक्त ऐसे अनेक कारण हैं जो आज के आधुनिक परिवेश में, हमारे बच्चों के मनोमस्तिष्क पर अपना दुष्प्रभाव डालकर उन्हें अपने उज्ज्वल भविष्य के मार्ग से भटका रहे हैं।

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ऐसे में हम सभी को चिंतन और मनन करने की आवश्यकता है। आज का आधुनिक परिवेश कहीं न कहीं हम सभी के लिए आवश्यक भी है किंतु कल और आज के आधुनिक परिवेश में सामंजस्य के साथ ही हम अपने कल का निर्माण कर सकते हैं। अतः हमारी सजगता ही हमारे बच्चों के भविष्य निर्माण को सही दिशा और दशा प्रदान कर सकती है। तो आइए अपनी कुछ पंक्तियों के साथ बच्चों को पुस्तक के प्रति आदर भाव देकर, उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करें–

“चलो चलें बच्चों के संग हम
पुस्तक का गुणगान करें
छोड़ मोबाइल पढ़ें पुस्तकें
आज चलो ये काम करें..।।
पढ़ें लिखें आगे बढ़ जाएं
जीवन में कुछ काम करें
हो किताब से पुनः दोस्ती
पुस्तक का सम्मान करें..।।”

           विजय कनौजिया

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