• बीते पांच साल में संस्थागत प्रसव में 20 प्रतिशत का हुआ इजाफा
• घरेलू प्रसव दर में आई कमी, 90.1 प्रतिशत हुआ संस्थागत प्रसव
औरैया। जिले में अब महिलाएं घर में प्रसव का जोखिम नहीं उठाना चाहतीं। इसलिए घरेलू प्रसव को दरकिनार कर सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 5 के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव बढ़े हैं। बीते पांच साल में संस्थागत प्रसव के फायदों के प्रति आई जागरूकता के कारण इसमें 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पूर्व में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 की रिपोर्ट में संस्थागत प्रसव दर 69.2 प्रतिशत थी, जो इस बार के सर्वे में बढ़कर 90.1 प्रतिशत हो गयी है। वहीं एनएफएचएस-4 में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव दर 51.6 प्रतिशत थी,जो बीते पांच सालों में बढ़ कर 72.8 प्रतिशत हो गयी है।
प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में कराया जाता है संस्थागत प्रसव
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है। गर्भवती के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर आई जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में कराया जाता है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या बर्थ एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने को तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं।
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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि जटिलताओं की रोकथाम, पहचान और प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कुशल देखभाल एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी महिलाओं की पहुंच आवश्यक है। मातृ और नवजात की मृत्यु को रोकने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा एक सक्षम वातावरण में काम किया जाता है।बच्चे के जन्म के दौरान कुशल देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति यह है कि सभी शिशुओं के जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हों, जहां प्रसूति संबंधी जटिलताओं का इलाज किया जा सके।
घरेलू प्रसव दर में भी आयी कमी
आमजनों में संस्थागत प्रसव के प्रति आई जागरूकता के कारण घरों में होने वाले प्रसव घटे हैं। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार यह आंकड़ा 6.2 फीसदी था। एनएफएचएस-5 के मुताबिक वर्तमान में यह दर 4.1 प्रतिशत है। यानि घरों में प्रसव दर में 2.1 फीसदी कमी आई है। घरों में प्रसव होना जोखिम भरा होता है। प्रसव के समय किसी भी आपात स्थिति से निपटने की सुविधाओं की कमी के कारण प्रसूता की जान भी चली जाती है। प्रसव के समय मां व शिशु की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर है संस्थागत प्रसव की सुविधा
जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक अजय पांडेय ने बताया जनपद के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर संस्थागत प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। 50 व 100 शैय्या वाले जिला संयुक्त चिकित्सालय सहित सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संस्थागत प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर माह के चार दिन एक, नौ, 16 व 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर गर्भवती की प्रसव पूर्व सभी जांच की जाती हैं।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर