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साहित्यकार सम्मान एवं ग्रंथ विमोचन के बाद सम्पन्न हुआ कवि सम्मेलन

डलमऊ/रायबरेली । रविवार को प्रति वर्षों की भांति इस वर्ष भी संस्थान के अध्यक्ष देवेद्र आनंद गिरी की अध्यक्षता में और रामनिवास पंथी के संयोजन में साहित्यकार सम्मान एवं ग्रंथ विमोचन के साथ कवि सम्मेलन का आयोजन निराला स्मारक स्थल डलमऊ में आयोजित किया गया। जिसमें कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा और युगपुरुष के नाम से समझे जाने वाले महापुराण निराला की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित और माल्यार्पण कर किया गया। इसी क्रम में कार्यक्रम में पहुंचे सभी साहित्यकारों को दुशाला और माल्यार्पण कर स्वागत और सम्मान किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी देवेंद्र आनंद गिरी एवं मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग बैसवारा पीजी कॉलेज लालगंज एवं अवधेश सिंह पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायबरेली आदि के साथ अन्य लोगों द्वारा महाप्राण निराला का जीवन परिचय देते हुए उनके व्यक्तित्व और उनके द्वारा रचित कविताओं का विस्तार से वर्णन किया गया।

साहित्यकार सम्मान समारोह के क्रम में निराला स्मृति संस्थान के अध्यक्ष देवेंद्र आनंद गिरी और संयोजक रामनिवास पंथी के द्वारा निराला स्मृति सम्मान डॉ आजेंद्र प्रताप सिंह को मनोहरा देवी स्मृति सम्मान डॉक्टर रसिक किशोर सिंह को सरोज स्मृति सम्मान डॉ मंजू मृदुल को मुल्ला दाऊद स्मृति सम्मान सूर्य प्रसाद शर्मा निशी हर को चक्रवर्ती राजा डाल देव स्मृति सम्मान शत्रुहन सिंह चौहान को राजाराम भारतीय स्मृति सम्मान विजय चितौरी और शिव बहादुर सिंह दिलबर को गीतकार जवाहर इंदु स्मृति सम्मान डॉ सुखदेव प्रसाद छैल और लखन प्रतापगढ़ी को देखकर सम्मानित किया गया।

ग्रंथों के विमोचन एवं कवि सम्मेलन के क्रम में डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह द्वारा रचित साहित्य चिंतन और डॉक्टर आजेंद्र प्रताप सिंह द्वारा रचित बैसवारा और महाकवि निराला समग्र और रामनिवास पंथी एवं डॉ मंजू मृदुल द्वारा संपादित भारतीय संतों की कीर्ति कथाएं तथा रामनिवास पंथी एवं डॉ आजेंद्र प्रताप सिंह द्वारा रचित व्यक्तित्व और विचार रविंद्र कुमार द्वारा रचित आनंद उपासना तथा शिव कुमार शिव एवं डॉ ऋषि किशोर सिंह नीरज द्वारा रचित जीवन की रागिनी आदि ग्रंथों का विमोचन किया गया।

कविता पाठ का लिया आनन्द

कार्यक्रम के अंतिम भाग कवि सम्मेलन में डॉ. मंजू मृदुल ने प्रेम रस से भरी कविता का पाठ किया। “भले ही साथ हो सारा जमाना
पर न जाने क्यों, मुसीबत में हमेशा मां याद आती है”

आचार्य निशीहर द्वारा “छेड़छाड़ प्रकृति ते करिहो जो ज्यादा, कसी शिकंजा मा उफरियों जो ज्यादा।” बृजेंद्र नाथ त्रिपाठी द्वारा अपनी कविता के पाठन के क्रम में “उतर जाएगा यह सोने का पानी अंततोगत्वा, उभर आएगी फिर पीतल पुरानी अंततोगत्वा।” प्रतिभा इंदु द्वारा रचित कविता “आज धरा ने किया अनुपम श्रृंगार है, मंद चल रही पुरवा बयार है।” अंकुर सिंह द्वारा “मेरी मां सुबह जब जगाती है मुझको,  तो थोड़ा सा गुस्सा दिखाती है मुझको।”

राजेंद्र बहादुर सिंह राजन द्वारा:  “यह जो कविता है मन की तड़पन, यह जो कविता है श्वास की धड़कन। तीसरी आंख है कवि के मन की, यह जो कविता है विराट का दर्शन।। आदि कविताएं साहित्यकार कवियों द्वारा पढ़ी गई।

इस मौके पर आशा सहेली, डॉ विनय भदौरिया, डाक्टर प्रतीत त्रिपाठी, रामनारायण रमण, अंजनी कुमार सिंह, शमशुद्दीन अजहर, गोविंद गजब, उत्तम सोनी, सागर योगेंद्र प्रताप सिंह, उदय बाजपेई, सुभाष रितु जी, मनोज मंजिल, प्रतिभा इंदू, कवियों के साथ नगर पंचायत अध्यक्ष पंडित बृजेश दत्त गौड़, कृपा शंकर द्विवेदी, भारती शरण द्विवेदी, दिनेश कुमार यादव एडवोकेट, पप्पू सोनी, संदीप चौधरी, राजेंद्र वैश्य, रामेश्वर यादव, शिवनाथ यादव, रमेश चौधरी, संदीप मिश्रा, आदि के साथ अन्य कस्बा वासी एवं क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट-हर्षित शुक्ला

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