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भारत में कोरोना बढ़ने के पीछे नया वैरिएंट, जानिए सबसे पहले , वरना हो जाएगे परेशान

बीते कुछ अरसे में कोरोना के मामलों में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला है। भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे एक नए वैरिएंट को देखा जा रहा है। इस वैरिएंट का नाम है आर्कटुरस।

यह वैरिएंट भारत में बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी चिंता का सबब बन रहा है। डॉक्टरों ने इसके लक्षणों के बारे में जानकारी दी है और सतर्कता बरतने की सलाह दी है। बता दें कि XBB.1.16 वैरिएंट को ही आर्कटुरस नाम दिया गया है। इसके मामले भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी बढ़ रहे हैं।

कोरोना के नए वैरिएंट से प्रभावित होने वालों में तेज बुखार के साथ आंखों में गुलाबीपन के लक्षण देखे जा रहे हैं। खासतौर पर बच्चों में यह सिंपटम्स ज्यादा नजर आ रहे हैं। फोर्ब्स की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से इन लक्षणों को लेकर चेतावनी दी गई है। कुछ हफ्ते पहले पीडिट्रिशियन विपिन एम वशिष्ठ ने बच्चों में इस लक्षण पर ट्वीट किया था।

इसके मुताबिक कोरोना से ग्रस्त बच्चों में 42.8 फीसदी कंजेक्टिवाइटिस के मामले देखने को मिल रहे हैं। अन्य लक्षणों में खांसी, नाक का बहना, बुखार, पतली दस्त और उल्टी हैं। डॉक्टर वशिष्ठ के मुताबिक कोराना का सबसे कम उम्र का मरीज एक 13 दिन का नवजात शिशु था। उन्होंने यह भी बताया हे कि बीए.2 ओमिक्रॉन लहर के उलट इस बार छोटे बच्चों के फेफड़े अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

अगर बात करे वयस्कों की तो कोरोना का टीका लगवा चुके लोगों में वही लक्षण दिखाई दे रहे हैं जो पिछली बार थे। इसमें शरीर में दर्द, बुखार, मसल में असहनीय पीड़ा, पेट से जुड़ी समस्याएं और डायरिया शामिल हैं। डॉक्टर वशिष्ठ ने अपने ट्वीट में लिखा है कि इस बार हल्के बुखार से बीमारी की शुरुआत हो रही है।

इसके बाद यह समस्या एक से लेकर तीन दिन तक रह रही है। इस बार युवा शिशु बड़े बच्चों की तुलना में अधिक प्रभावित हो रहे हैं। अमेरिका में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्कटुरस के चलते इस बार बुखार ज्यादा तेज आ रहा है। यह अन्य वैरिएंट्स की तुलना में बिल्कुल अलग मामला है।

भारत में फिलहाल कोरोना के मामले के पीछे भी XBB.1.16 या आर्कटुरस वैरिएंट ही है। कुछ हफ्तों पहले इस वैरिएंट के चलते ही एक ही दिन में 10 हजार से ज्यादा कोरोना केसेज सामने आए थे। एक मई को बीते 24 घंटे में 4282 नए मामले दर्ज किए गए हैं।

द इंडिपेंडेंट ने लीड्स यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट डॉ. स्टीफन ग्रिफिन के हवाले से कहा कि आर्कटुरस अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। भारत में यह अन्य वैरिएंट्स को तेजी से पीछे छोड़ रहा है। वहीं वायरोलॉजिस्ट ने वैरिएंट के प्रसार पर चिंता जताई है। असल में इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग और ट्रैकिंग संभव नहीं है। ऐसे में यह बहुत ज्यादा घातक हो सकता है। भारत में आर्कटुरस पहली बार जनवरी 2023 में पाया गया था।

 

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