आरंभ जैसा अप्रत्याशित था, वैसा ही अनपेक्षित अंत भी रहा। कृषि कानूनों के विरोध में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में चल रहा प्रदर्शन इतना हिंसक होकर आठ लोगों की मौत का कारण बनेगा, यह किसी को आभास नहीं था।
भरोसा इस पर भी नहीं होगा कि तमाम अदृश्य कारणों से भड़की चिंगारी यूं देखते ही देखते ठंडी भी हो जाएगी। किसानों के घावों पर सीएम योगी ने दवा लगाई और दोपहर होते-होते प्रदेश में फिर सुकून, फिर शांति।
लखीमपुर खीरी में रविवार को उपद्रव में किसान और भाजपा समर्थकों की मौत ने प्रदेश भर में सनसनी फैला दी। चूंकि, कृषि कानून विरोधी आंदोलन को विधानसभा चुनाव से पहले हवा देने की भरपूर कोशिश विपक्ष ने की है उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजधानी में नहीं थे। सीतापुर में कार्यक्रम के बाद गोरखपुर पहुंचे थे। वहीं रात्रि प्रवास प्रस्तावित था, लेकिन इधर हालात खराब थे और उधर मौसम।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन के अगुआ राकेश टिकैत का लखीमपुर कूच यह अंदेशा खड़ा कर रहा था कि अब यह मुद्दा तूल पकड़ेगा। मगर, नाराज किसानों से बातचीत के लिए सशक्त माध्यम तलाश रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर में टिकैत ही वह व्यक्ति थे, जिनकी बात किसान आसान से मान सकते हैं।