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चुनाव से पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हुआ ये,जानकर उड़े नेताओ के होश

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट कैंप एक बार फिर एक दूसरे पर हमलावर हो गए हैं। गहलोत समर्थक मंत्री रामलाल जाट पर पायलट कैंप ने जवाबी हमला बोला है। बता दें कि, मंत्री रामलाल ने नाम लिए बिना सचिन पायलट को दोगला बता दिया था।

इसके जवाब में पायलट कैंप के मंत्री हेमाराम चौधरी और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने पलटवार करते हुए इशारों ही इशारों में सीएम गहलोत को निशाने पर ले लिया।

मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा है कि चुनावी साल में मंत्री रामलाल जाट का बयान सुनने के बाद मैं हैरान हूं। इसके पीछे इनकी क्या मंशा है और क्या मकसद है? यह कह रहे हैं कि कांग्रेस में रहना है तो रहो। कांग्रेस में रहना या नहीं रहना यह मंत्री रामलाल जी आप तय करोगे क्या? कांग्रेस इनकी है क्या हमारा कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है क्या? हमारे बाप-दादा जब से समझने लगे हैं और प्रजातंत्र कायम हुआ तब से कांग्रेस के अलावा कुछ सोचा नहीं।

गहलोत समर्थक मंत्री महेश जोशी ने जयपुर संभाग के कार्यकर्ता सम्मेलन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ‘चौथी बार गहलोत सरकार’ के नारे लगवाए। सभा के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात की चर्चा की थी कि किस तरह से माली समाज के एकमात्र विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस आलाकमान की ओर से उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री बनाया गया। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने खुद का उदाहरण देते हुए कांग्रेस के बड़े पदों पर बैठे नेताओं से आह्वान किया कि अब कांग्रेस को कुछ लौटाने की बारी इन नेताओं की है।

मंत्री महेश जोशी 25 सितंबर को हुई समानांतर बैठक के लिए कांग्रेस पार्टी से कारण बताओ नोटिस पा चुके हैं, जिन पर अभी कार्रवाई को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। फिलहाल अब तक कांग्रेस ने यह भी तय नहीं किया है कि 2023 में कांग्रेस का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा।

पीसीसी प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने भी गहलोत समर्थक मंत्री रामलाल को उनके बयान के लिए आडे़ हाथ लिया और कहा कि कुछ लोग ऐसा चाह रहे हैं कि हम लोग इस तरह से इनके साथ व्यवहार करें तो यह कांग्रेस छोड़कर चले जाएं और फिर हम ही कांग्रेस के मालिक बने रहें।

मैं बता दूं कि कांग्रेस छोड़कर न तो पायलट जाने वाले हैं ना ही हेमाराम चौधरी। हमारे तो खून में कांग्रेस है। रामलाल जाट पहले भी मंत्री थे और इनको हटाया गया था क्यों हटाया गया उसके बारे में तो पहले बता दें, कोई तो कारण होगा। अब हमें नसीहत दे रहे हैं। हमें नसीहत देना बंद करें और खुद ठीक ढंग से चलें।

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