लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के राधाकमल मुखर्जी सभागार (Radhakamal Mukherjee Auditorium) में शनिवार को समाज कार्य विभाग (Department of Social Work) द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Social Science Research) के सहयोग से ‘महिला नेतृत्व में विकास: विकसित भारत के लिए उभरती रणनीतियाँ @Vision2047’ विषययक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रतिभा शुक्ला, राज्य मंत्री, (Chief Guest Pratibha Shukla, Minister of State) महिला कल्याण, बाल विकास और पोषण, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं के बिना विकास की कल्पना असंभव है।
प्रतिभा शुक्ला ने कहा कि हमारी सरकार ‘नारी शक्ति से विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम महिला उद्यमिता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने ‘मिशन शक्ति’ के माध्यम से महिलाओं को सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान प्रदान करने का कार्य किया है। महिला हेल्पलाइन, पिंक बूथ, पिंक पेट्रोलिंग जैसी पहलों ने महिलाओं को सुरक्षा का वातावरण प्रदान किया है। प्रतिभा शुक्ला ने कहा कि बालिका शिक्षा के लिए सरकार ने ‘कन्या सुमंगला योजना’ जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए हम ‘पोषण अभियान’ के माध्यम से हम माताओं और बच्चों के पोषण स्तर में सुधार ला रहे हैं।
संगोष्ठी को बतौर विशिष्ट अतिथिसंबोधित करते हुए पूर्व कुलपति, तुमकुर विश्वविद्यालय, कर्नाटक, कर्नल प्रो वाईएस सिद्देगौड़ा ने कहा कि जिस देश की महिलाएँ जितनी स्वावलंबी और सशक्त होंगी, वह देश उतना ही आगे बढ़ेगा। विकसित भारत के निर्माण में महिलाओं की अग्रणी भूमिका अपरिहार्य है। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत में महिला सशक्तिकरण के प्रयासों ने समाज के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को बदल दिया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कहा कि समाज में महिलाओं की आवाज़ को मुखरित करना ही सच्चे विकसित भारत की नींव है। जब तक महिलाएँ स्वयं के लिए निर्णय नहीं लेंगी, तब तक हमारा विकास अधूरा ही रहेगा। उन्होंने अपने भाषण में महिलाओं के समक्ष आने वाली सामाजिक रूढ़ियों और बाधाओं का विस्तार से उल्लेख किया। प्रो. राय ने कहा कि आज के समय में महिला सशक्तिकरण का अर्थ केवल आर्थिक स्वावलंबन नहीं है, बल्कि निर्णय लेने की क्षमता और स्वतंत्रता भी है। हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा जिसमें महिलाएँ अपनी आकांक्षाओं और क्षमताओं को पूर्ण रूप से विकसित कर सकें। प्रो राय ने कहा कि विकसित भारत 2047 का सपना तभी साकार होगा जब भारत की प्रत्येक महिला आत्मनिर्भर, सशक्त और अपने अधिकारों के प्रति सजग होगी।
प्रो-कुलपति प्रो मनुका खन्ना ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जिससे महिलाएँ अपनी पहचान और क्षमता को पहचान सकती हैं। हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था विकसित करनी होगी जिसमें छात्राओं के नेतृत्व कौशल का उचित विकास हो सके। संगोष्ठी के संयोजक एवं समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो राकेश द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि महिला नेतृत्व में विकास की अवधारणा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक है। भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं में महिलाओं का स्थान सदैव सम्मानित रहा है, किंतु आधुनिक विकास में उनकी भूमिका और भागीदारी को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।