लखनऊ। शास्त्री नगर स्थित कल्याणकारी आश्रम श्री दुर्गा जी मंदिर के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के अवसर पर चल रही 9 दिवसीय कथा में कथा व्यास श्री रमेश भाई शुक्ल ने आज अपने प्रवचनों में कहा कि शास्त्रों में तीन प्रकार के वचन होते हैं, रोचक, भयानक और यथार्थ। रोचक में कहानी, दृष्टान्त, उदाहरण, पुण्य-फल, स्वर्ग, कामना-पूर्ति इत्यादि प्रसंग आते हैं। रोचक वचनों से मनुष्य पुण्य-कर्मों की ओर प्रवृत्त होता है।
जबकि भयानक वचनों में श्राप, नरक, पाप, सजा, मृत्यु और भय आदि का वर्णन है। इनके अध्ययन से मन पाप कर्मों से बचने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर-जीव-माया-प्रकृति का ज्ञान यथार्थ वचन है। यथार्थ वचन उन लोगों के लिए होता है जो ज्ञान की जिज्ञासा रखते हैं और जिन्हें वेदांत के वर्णन को सुनने और सुनाने में अभिरुचि होती है।
कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने कहा कि भागवत, रामायण में रोचक वचनों की अधिकता है। गरुड़ पुराण इत्यादि में भयानक वचनों की अधिकता है। जबकि योग वशिष्ट, ब्रह्मसूत्र, भगवत गीता में यथार्थ वचनों की अधिकता है। इसलिए अच्छे वक्ता, एक ग्रंथ की व्याख्या करते हुए भी अन्य ग्रन्थो की चर्चा करते ही हैं। भरत जी की कथा सुनाते हुए कथा व्यास रमेश भाई शुक्ला जी ने कहा कि भरत जी ममता में फंसे तो उनको दोबारा जन्म लेना पडा था। उन्होंने कहा कि ममता बंधन है, ममता हमारी मुक्ति में बाधक बन जाती हैं। इस संबंध में अजामिल की कथा हमें सिखाती है कि व्यक्ति कितना भी पापी क्यों न हो, भगवान के नाम में इतनी शक्ति होती है कि उसका बेड़ा पार कर देती है। सातवें स्कंध में प्रहलाद की कथा सुनाते हुए श्री सुखदेव जी ने कहा है, प्रहलाद विश्वास के प्रतीक हैं, साधक का विश्वास पक्का हो तो उसे परमात्मा के मिलन से कोई रोक नहीं सकता है।
मंदिर के पदाधिकारी पवन अग्रवाल ने बताया कि स्थापना दिवस के अवसर पर कोरोना महामारी में मृतक आत्माओं की शांति हेतु विशेष श्रद्धांजलि प्रार्थना की गई। उन्होंने कहा कि मंदिर समिति विगत 32 वर्षों से निरंतर धार्मिक एवं सामाजिक सेवाओं के अनेक प्रकल्पों का सफलता पूर्वक संचालन करती रही है। मंदिर के सेवा प्रकल्पों में कल्याण मंडप के तहत निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह, रोग निदान के लिए धन्वंतरि चिकित्सालय, ग्रीष्मकालीन जल सेवा आदि प्रमुख सेवा कार्य हैं।
इसके अलावा तीर्थस्थलों और विशेष कुम्भ पर्व पर अन्न सेवा हेतु विशाल भण्डारा, भूकम्प, बाढ़, प्राकृतिक आपदाओं के अवसर पर ‘आपदा सेवा’, बालकों में संस्कार जागरण हेतु ‘बाल संस्कार केन्द्र, आदि चलाये जाते हैं। अध्यात्म जागरण हेतु नित्य भगवद गीता पाठ, योग कक्षा, तुलसी वाटिका ध्यान केन्द्र का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि मंदिर के सेवा पदाधिकारी राम नरेश मिश्रा (महामंत्री), ताराचंद अग्रवाल (व्यवस्थापक), राजेंद्र गोयल (प्रबंधक) आदि के साथ अन्य सेवादार पूरे मनोयोग से सेवा कर रहे हैं।