पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली पर चर्चा के बीच, मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को विधान सभा में स्पष्ट किया कि उसके कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। सरकार का लिखित जवाब कांग्रेस विधायक रवींद्र सिंह तोमर, सुरेश राजे और भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन के सवाल के बाद आया है।
सवालों के जवाब में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, ‘ओपीएस को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।’ मंत्री ने स्पष्ट किया कि 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारी नई पेंशन योजना (OPS) के तहत पंजीकृत हैं और मध्य प्रदेश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 4,83,332 है।
कांग्रेस का वादा
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस सप्ताह की शुरुआत में वादा किया था कि नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापस आने पर वे ओपीएस को बहाल कर देंगे। नाथ ने ट्वीट किया, ‘मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही शिवराज (सिंह चौहान) सरकार द्वारा बंद की गई सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बहाल की जाएगी।’
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राज्य पुरानी पेंशन योजना के राष्ट्रीय आंदोलन के एमपी चैप्टर के बैनर तले शामिल होने वाले कर्मचारियों के विरोध को देख रहा है। आंदोलन में कहा जा रहा है कि ओपीएस की बहाली की जाए, क्योंकि एनपीएस के तहत इसमें लाभ पर्याप्त नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने 12 दिसंबर को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड के साथ ओपीएस पर अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है कि ओपीएस की बहाली के संबंध में सरकार के विचाराधीन कोई प्रस्ताव नहीं है।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने केंद्र सरकार और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) से एनपीएस के तहत सब्सक्राइबर्स की जमा हुई रकम संबंधित राज्यों को लौटाने को कहा है।
पंजाब ने भी की घोषणा
18 नवंबर को पंजाब सरकार ने भी इस योजना को बहाल करने के अपने फैसले की घोषणा की लेकिन केंद्र सरकार को अभी तक पंजाब से कोई अनुरोध नहीं मिला है।
बता दें कि पुरानी पेंशन योजना धीरे-धीरे कई राज्यों में एक संवेदनशील चुनावी मुद्दा बनती जा रही है, कांग्रेस पार्टी हर चुनाव में इस योजना को बहाल करने का वादा करती है। कई राजनीतिक पंडित हाल ही में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की जीत को ओपीएस की बहाली के उसी वादे का श्रेय देते हैं।