मद्रास हाई कोर्ट ने आज शुक्रवार 7 दिसम्बर को योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को बड़ा झटका दिया है. हाई कोर्ट ने पतंजलि पर कोरोनिल नाम का इस्तेमाल करने पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कोरोनिल शब्द का प्रयोग बंद करने का आदेश दिया है.
शुक्रवार को हाई कोर्ट में चेन्नई की अदयार इंजीनियरिंग प्राइवेट लि. कंपनी की एक याचिका पर सुनवाई हुई. पिछले महीने चेन्नई की इस कंपनी ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने कोरोनिल 92- बी नाम से जून 1993 में ट्रेडमार्क पंजीकृत करा लिया था और यह ट्रेडमार्क 2027 तक के लिए रजिस्टर्ड करा रखा है.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने कहा कि पतंजलि को यह जानना चाहिए कि व्यापार में किसी नाम की समानता जैसी चीज नहीं होती है. यदि उन्हें कोरोनिल नाम से कोई ट्रेडमार्क पहले से पंजीकृत होने की जानकारी नहीं थी, तो यह पतंजलि की गलती है. इससे पहले पतंजलि के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें कोरोनिल ट्रेडमार्क के पहले पंजीकृत होने की उन्हें जानकारी नहीं थी.
मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लोगों में कोरोना के डर का फायदा पतंजलि ने उठाने की कोशिश की है. हाई कोर्ट ने कहा कि पतंजलि की कोरोनिल दवा सिर्फ खांसी, सर्दी और बुखार के लिए कारगर है. कोर्ट ने पतंजलि को आदेश दिया है कि वह चेन्नई स्थित अदयार कैंसर इंस्टिट्यूट और गवर्नमेंट योग ऐंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को पांच-पांच लाख रुपये अदा करे और अपने ब्रांड के नाम में कोरोनिल शब्द का प्रयोग न करे. उल्लेखनीय है कि पतंजलि आयुर्वेद ने पिछले दिनों कोरोनिल नाम की दवा लॉन्च की थी, लेकिन सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिली थी. अब पतंजलि अपने इम्युनिटी बूस्टर उत्पादों को इसी नाम से बेच रही है.