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मिजोरम से भाग रहे मैतई, सरकार बोली- जरूरत पड़ी तो करेगे ऐसा…

मणिपुर में दो कुकी-ज़ोमी महिलाओं को निर्वस्त्र करने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने के वीडियो के बाद पैदा हुए आक्रोश ने मिजोरम में रहने वाले मैतई समुदाय में दहशत पैदा कर दी है।

मिजोरम में कुछ युवाओं द्वारा मैतई समुदाय के लोगों को धमकी दी गई है कि वे जितना जल्दी हो सकें, राज्य छोड़ दें। हालात ये हैं कि मैतई के लोगों ने राज्य से पलायन करना भी शुरू कर दिया है। शनिवार को कई लोग राज्य छोड़ कर चले गए। कुछ हवाई अड्डों और सुरक्षित स्थानों पर आश्रय लिए हैं। इस विकट स्थिति के बीच मणिपुर सरकार ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो चार्टर उड़ान से उन्हें सुरक्षित लाया जाएगा।

दरअसल, मिजोरम के मिजो लोगों का मणिपुर के कुकी-ज़ोमिस के साथ एक गहरा जातीय बंधन है और पड़ोसी राज्य में इन समुदायों के विकास पर भी करीब से नजर रखते हैं। बीते 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर के 12,584 कुकी-ज़ोमी लोगों ने मिजोरम में शरण मांगी है। मिजोरम में पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन (पीएएमआरए) मिज़ो नेशनल फ्रंट मिलिटेंट्स का एक इकाई संगठन है। यह संगठन कुकी और जोमी समुदाय की महिलाओं के साथ हुई अमानवीय घटना को लेकर काफी आक्रोशित है। शुक्रवार को एक बयान जारी कर संगठन ने मिजोरम में रहने वाले मैतई समुदाय के लोगों को खुली धमकी दी थी।

संगठन ने मिजोरम में रहने वाले मैतई लोगों को धमकी देते हुए कहा था कि “अपनी सुरक्षा के लिए” जितना जल्दी हो सके, राज्य छोड़ दें। बयान में कहा गया है कि मणिपुर में कुकी और जोमी समुदाय की दो महिलाओं के साथ हुई वीभत्स घटना से मिजो लोगों की भावनाएं बहुत आहत हुई हैं और इसलिए अब यहां मैतई लोगों का रहना सुरक्षित नहीं है।

मिजोरम की राजधानी आइजोल में लगभग 2,000 मैतेई लोग रहते हैं, जिनमें सरकारी कर्मचारी, छात्र और श्रमिक शामिल हैं। उनमें से कई असम की बराक घाटी से हैं। शुक्रवार रात को बयान सामने आने के बाद मिजोरम के डीआइजी उत्तरी रेंज द्वारा एक आदेश जारी किया गया, जिसमें निर्देश दिया गया कि “आइजोल में मैतेई की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए” हर स्थान पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाए। शनिवार दोपहर तक कुछ मैतई पहले से ही राज्य से बाहर जा चुके थे। उनमें से आइजोल में एक निजी कंपनी में काम करने वाली मैतेई समुदाय की महिला थी।

अपनी पहचान छिपाते हुए महिला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह अपने चार लोगों के परिवार के साथ निजी वाहन से असम के कछार जिले में अपने घर जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तक, उन्हें मिजोरम में खतरा महसूस नहीं हुआ है, और मिजो लोग “बहुत सौम्य, बहुत विनम्र” हैं। “लेकिन अब, बहुत से मैतेई अपना सामान अपने किराए के घरों में छोड़कर भाग रहे हैं। बराक घाटी से बहुत से लोग सड़क मार्ग से जा रहे हैं और ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो आइजोल हवाई अड्डे पर आश्रय तलाश रहे हैं। लोग काफी डरे हुए हैं।” उन्होंने कहा।

इस बीच, मिजोरम गृह विभाग ने राज्य में रहने वाले मैतई लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि वे खतरे में नहीं हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मिजोरम के गृह आयुक्त एच लालेंगमाविया ने कहा, “मैंने आज PAMRA से बात की और उन्होंने कहा कि उनके संदेश की गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा कि यह कोई धमकी नहीं बल्कि मैतेई लोगों की सुरक्षा के लिए चिंता की अभिव्यक्ति है, जो सद्भावना से जारी की गई है। इसके प्रभाव को देखते हुए हमने संकल्प लिया कि वे अपना बयान वापस ले लेंगे।”

उधर, मणिपुर सरकार भी मिजोरम में मैतई समुदाय के लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। सरकार के प्रवक्ता सपम रंजन सिंह ने कहा कि सरकार ऑल मिजोरम मणिपुर एसोसिएशन के संपर्क में है। उन्होंने कहा, “संगठन के बयान के बाद तनाव है और हमें सूचित किया गया है कि कुछ लोगों ने राज्य छोड़ना शुरू कर दिया है। हालांकि, मिजोरम गृह विभाग ने आज एक बयान जारी किया जिससे तनाव कम हो सकता है। हमने आश्वासन दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो हम लोगों को जाने के लिए चार्टर उड़ान उपलब्ध कराएंगे।”

गृह विभाग ने भी शाम को एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि गृह आयुक्त ने ऑल मिजोरम मणिपुरी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने उनसे यह भी कहा कि “अफवाहों से गुमराह न हों और उन्हें अपने साथी मैतई लोगों को प्रेस वक्तव्य की दुर्भाग्यपूर्ण गलत व्याख्या के कारण राज्य न छोड़ने के लिए सूचित करने के लिए भी राजी किया”।

 

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