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मेरीन जोसफ: न्याय दिलाने के लिए साऊदी अरब तक की दौड़

वीरेन्द्र बहादुर सिंह

न्यायप्रणाली के मानवतावाद की वजह से कभी-कभी उचित साक्ष्य के अभाव में अपराधी छूट जाते हैं या फिर विदेशनीति का लाभ ले कर विदेश भाग जाते हैें। तब उन्हें भारत वापस लाना और सजा दिलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ था। पर आईपीएस मरीन जोसफ सऊदी अरब जा कर एक ऐसी अपराधी को भारत ले आईं, जो भारत में एक 13 साल की लड़की के साथ रेप कर के भाग गया था।

यह सन् 2017 की बात है। केरल में एक इसी तरह की घटना घटी थी। केरल के जिला कोलाम का रहने वाला 38 साल का सुनील कुमार भाद्रन नामक एक युवक साऊदी अरब में राजमिस्त्री का काम करता था। वह छुट्टी ले कर केरल के जिला कोलाम के अपने गांव आया हुआ था। उसी दौरान उसकी अपने एक मित्र की 13 साल की भतीजी पर नीयत खराब हो गई। उसने उस बच्ची को बहलाफुसला कर उसके साथ दुष्कर्म किया। यह सिलसिला 3 महीने तक चलता रहा। सुनील कुमार 3 महीने तक उस किशोरी का शारीरिक शोषण करता रहा।

सुनील कुमार द्वारा शारीरिक शोषण से तंग आ कर उस किशोरी ने हिम्मत जुटा कर स्कूल में साथ पढ़ने वाली अपनी एक सहेली से अपने साथ हो रहे अत्यााचार के बारे में बता दिया। उस सहेली के द्वारा इस बात की जानकारी किशोरी के घरवालों को हुई। काफी आसमंजस के बाद घर वालों ने पुलिस में शिकायत करने का निश्चय किया। क्योंकि दुष्कर्म जैसी घटना महिलाओं के लिए बहुत ही पीड़ादायक होती है।
इस घटना का शिकार होने के बाद किशोरी की मानसिक हालत काफी खराब हो गई। उसकी आंखों के सामने अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई देने लगा था। उस बच्ची की मानसिक हालत को उेखते हुए उसे कोलाम जिले के कारीकोड के सरकारी रेस्क्यू होम ‘महिला मंदिरम्’ में रखवा दिया गया था, जहां उसने खुद ही अपनी जिंदगी खत्म कर थी। अपने मित्र द्वारा किए गए इस कृत्य से दुखी हो कर किशोरी के चाचा ने भी आत्महत्या कर ली थी।

इस पूरी घटना के मूल में यह था कि सुनील कमार के खिलाफ पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज होती, उसके पहले ही वह अपनी नौकरी वाली जगह साऊदी अरब वापस चला गया था। इसलिए पुलिस जांच में अंत में ‘आरोपी फरार’ की टिप्पणी के साथ फाइल एक किनारे रख दी गई। इस बात को दो साल बीत गए। किशोरी के मातापिता ने अपनी बेटी तो खोई ही थी, अब न्याय मिल पाएगा, यह उम्मीद भी छोड़ दी थी। क्योंकि न तो उनके पास कोई सरकारी सिफारिस थी, न ही वकीलों की महंगी फीस देने के लिए पैसे थे। परंतु जून, 2019 में केरल के कोलाम जिले में पुलिस अफसर के रूप में आईपीएस मेरीन जोसफ की नियुक्ति हुई तो एक बार फिर वह फाइल खुल गई।। सन् 1990 मे केरल में ही पैदा हुई और अपने माता-पिता के साथ दिल्ली मे रह कर पली-बढ़ी मेरीन ने बचपन से ही उच्च अधिकारी बनने का सपना देखा था। वह दिल्ली के सेेंट स्टीफन कालेज की तेजस्वी छात्र थीं। भारतीय कृषि मंत्रलय के प्रिंसिपल एडवाइजर पिता और इकोनॉतिक्स की टीचर मां की बेटी मेरीन ने साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर लिया था। केरल स्थित साइक्रियाट्रिस्ट डा. किस अब्राहम के साथ शादी करने वाली मेरीन जोसफ ने पुलिस अधिकारी के रूप मेें अपना फर्ज निष्ठापूर्वक निभाने की शपथ ली थी।

केरल कैडर मेें सब से कम उम्र में कोलाम जिले मेें कमिश्नर ऑफ पुलिस के रूप में पद संभालने वाली मेरीन जोसफ ने सब सेे पहले पेंडिंग फाइलें देखनी शुरू कीं। खास कर जिनमें शिकायत करने वाली महिलाएं और बच्चे थे। क्योंकि सामान्य रूप से महिलाएं और बच्चे अपने ऊपर होने वाले अत्याचार के विरोध में आवाज नहीं उठा पाते। मेरीन जोसफ की नजर में जब उस किशोरी के साथ दुष्कर्म और आत्महत्या का मामला आया तो उनका हृदय उस किशोरी के लिए द्रवित हो उठा।

एक महिला अधिकारी के रूप में खुद से जितना हो सकेगा, उतना करने का मरीन ने दृढ़ निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने इस मामले की साारी जानकारी मंगाई और खुद मामले की जांच में जुट गईं। जांच के अत में उन्हें पता चला कि आरोपी सुनील कुमार साऊदी अरब भाग गया है। उन्होंने आरोपी को साउदी अरब से पकड़ कर भारत लाने का निश्चय किया। इस तरह कार्रवाई कर के वह आम लोगों में यह संदेश पहुंचाना चाहती थीं कि अपराध कर के भागना आसान नहीं है। यह फरारी अब ज्यादा दिनाें तक चलने वाली नहीं है। दरअसल, सन् 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डा- मनमोहन सिंह और साऊदी अरब के किंग अब्दुल्ला के बीच अपराधियों के प्रत्यारोपण का समझौता हुआ था। भारत में अपराध कर के साउदी अरब भाग जाने वाले आरोपियों को भारत को सोंपा जाएगा, इस बात पर करार हुआ था। उसी करार के आधार पर मरीन जोसफ अपराधी सुनील कुमार को भारत लाना चाहती थीं।

इस मामले मेें आरोपी के जघन्य कृत्य का शिकार होने के कारण एक किशोरी ने आत्महत्या कर ली थी। इसलिए इस तरह के अपराधी को बिलकुल नहीं छोड़ा जा सकता था। केरल पुलिस की अंतरराष्ट्रीय जांच एजेसी साऊदी अरब पुलिस के साथ मिल कर इस मामले में कार्रवाई कर ही रही थी, आरोपी को इंटरपोल द्वारा भी नोटिस दी गई थी। फिर भी मामले में धीमी गति देख कर मेरीन जोसफ खुद ही सन् 2019 के जुलाई महीने में अपनी टीम के साथ रियाद के लिए रवाना हो गईं।

अंत में वह आरोपी सुनील कुमार को पकड़ कर भारत लाने में सफल रहीं। इस तरह केरल में अपराध कर के विदेश भाग जाने वाले ताम अपराधियों में सुनील कुमार ऐसा पहला अपराधी था, जिसेे गिरफ्रतार कर के भारत वापस लाया गया था। यह कार्य अपनी लड़ाई लड़ने में असमर्थ लोगों को न्याय दिलाने का संघर्ष करने वाली मेरीन जोसफ ने बहादुरी पूर्वक किया था। महिलाओें को उनकी सुंदरता से नहीं, उनकी काबलियत के आधार पर जाना जाना चाहिए, इस बात पर विश्वास करने वाली इस महिला पुलिस अधिकारी की वीरता और उनकी न्यायप्रियता को सलाम।

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