लखनऊ। एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के बाद सरकार अब 50 हजार से एक लाख की आबादी वाले 63 शहरों के लिए भी मास्टर प्लान तैयार कराने जा रही है। मास्टर प्लान लागू होने के बाद इन शहरों में भी महानगरों की तर्ज पर भू-उपयोग के आधार पर नक्शा पास किया जाएगा। इससे भवन निर्माण में मनमानी रुकेगी। इसको लेकर आवास विभाग में उच्च स्तर पर सहमति बन गई है।
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दरअसल, मुख्यमंत्री ने बड़े शहरों की तरह छोटे शहरों का सुनियोजित विकास कराने और भवन निर्माण के मानक तैयार करने के दिए हैं। इसी कड़ी में आवास विभाग भवन निर्माण एवं विकास उपविधि तैयार करने जा रहा है। इस उपविधि को उन सभी शहरों में लागू किया जाएगा, जहां पर विकास प्राधिकरण नहीं हैं। यानी नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत वाले शहरों में इसे लागू किया जाएगा।
विभाग पहले चरण में अमृत योजना से जुड़े 59 शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करा रहा है, जो अब पूरा होने वाला है। दूसरे चरण में 63 शहरों के लिए भी मास्टर प्लान तैयार कराने की तैयारी है। प्लान तैयार होने के बाद इसके मुताबिक ही भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी और नक्शा पास किया जाएगा।
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रुकेगा अनियोजित विस्तार
छोटे शहरों में भवन बनाने के कोई मानक न होने से अवैध निर्माण बड़ी समस्या है। इससे शहरों का अनियोजित विस्तार भी हो रहा है। मॉडल विकास उपविधि के लागू न होने से लोग मनमाने तरीके से भवनों का निर्माण कराते जा रहे हैं। खास तौर पर सड़कों से सटी जमीन पर मानक के विपरीत बने आवासीय और व्यावसायिक भवन खतरे को बढ़ा रहे हैं। इसे देखते हुए उपविधि लागू करने की तैयारी है।
अभी बोर्ड स्तर से पास होता नक्शा
जिन शहरों में विकास प्राधिकरण नहीं हैं उन शहरों में नगर निकायों के बोर्ड के नियमानुसार नक्शा पास होता है। इसमें भू-उपयोग और तल पट क्षेत्र अनुपात (एफएआर) का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है। ऐसे में बड़े नक्शे पास करने में जमकर मनमानी होती है।