राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ही समाज के प्रति दायित्व बोध का भी संदेश देती है. उन्होने कहा था कि नई शिक्षा नीति में व्यक्तित्व विकास के व्यापक बिंदु समाहित है. इसमें नैतिकता और सामाजिक सरोकारों से जुड़ने के तत्व भी समाहित हैं. वस्तुतः यह सभी विषय भारतीय चिन्तन और जीवन शैली के अनुरूप हैं।
लोकसभा में हास्य, विनोद, कविता और शायरी
प्रकृति पर्यावरण जल संरक्षण के विचार पर अमल करना आवश्यक है. आनन्दी बेन विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में इसकी प्रेरणा देती हैं। सरदार बल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ में भी यह दृश्य दिखाई दिया.राज्यपाल ने मटकी में जलधारा अर्पित कर जल संचयन के संदेश के साथ दीक्षांत कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उन्होंने कृषि कार्य में पानी के उपयोग और पानी की समस्या पर भी चर्चा की और भूजल संरक्षण की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया।
जलवायु परिवर्तन से कृषि सुरक्षा और विपरीत जलवायु परिस्थितियों से मुकाबला कर सकने वाली फसल की किस्मों के विकास पर जोर दिया। कहा कि कृषि में उर्वरकों का सही प्रयोग, जैविक तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, कृषि भंडारण, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
कृषि कार्यों से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आत्मनिर्भता बढ़ाने, विविध लघु, गृह उद्योगों, पशु पालन, छोटे स्तर पर घरेलु पोषण वाटिका के उत्पाद बनाने की दिशा में उन्हें जानकारी देने सम्बन्धी कार्य विश्वविद्यालय को करना चाहिए. विश्वविद्यालय को कृषि स्नातकों को प्रायोगिक कृषि शिक्षा में दक्ष बनाना चाहिए, जिससे वे किसानों की आय बढ़ाने में अपना सार्थक योगदान दे सकें. विद्यार्थियों को स्वावलंबी बनाने हेतु शिक्षित किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री