राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) के ताजा अध्ययन से पता चलता है कि देश में परिवारों का प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हो गया है।
बता दें, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत एनएसएसओ ने अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 के दौरान परिवारों का उपभोग खर्च सर्वे (एचसीईएस) कराया था। इस सर्वे के निष्कर्ष केंद्र सरकार ने 24 फरवरी को जारी किए। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के लिए घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) और इसके वितरण का अलग-अलग अनुमान तैयार करना है।
मौजूदा कीमतों पर 2,630 से बढ़कर 6,459 रुपये हुआ खर्च
आंकड़े से पता चलता है कि पिछले दो दशक में ग्रामीण और शहरी परिवारों में औसत मासिक खर्च लगभग समान हो गया है। नए सर्वे के मुताबिक, मौजूदा कीमतों पर भारतीय घरों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (एमपीसीई) 2011-12 के बाद से शहरी परिवारों में 2,630 से बढ़कर 6,459 रुपये, जबकि ग्रामीण घरों में 1,430 से बढ़कर 3,773 रुपये तक पहुंच गया।
शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई
अध्ययन के अनुसार, 2011-12 की कीमतों पर शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई (बिना वैकल्पिक आंकड़ों के) 2011-12 के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,510 रुपये हो गया है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,008 रुपये हो गया है।
इससे पता चला कि शहरी क्षेत्रों में मौजूदा कीमतों पर औसत एमपीसीई (वैकल्पिक आंकड़ों के साथ) भी 2011-12 के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,521 रुपये हो गया है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 3,860 रुपये हो गया है।
इतने घरों पर किया सर्वे
एमपीसीई का अनुमान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2,61,746 घरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,55,014 और शहरी क्षेत्रों में 1,06,732) से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है।