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15 करोड़ से अधिक भारतीयों पर गंभीर स्वास्थ्य संकट, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ऐसी गलती?

शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन और व्यायाम, दो सबसे जरूरी और प्रभावी तरीके माने जाते रहे हैं। डायबिटीज-हृदय रोगों से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में भी इन उपायों को कारगर पाया गया है।

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जिस तरह से आहार की गुणवत्ता में कमी और प्रोसेस्ड-जंक फूड्स शरीर को रोगी बना सकते हैं उसी तरह से शारीरिक गतिविधि और नियमित व्यायाम की कमी के कारण भी कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ जाता है। एक हालिया रिपोर्ट में भारतीयों में इससे संबंधित बढ़ती समस्याओं को लेकर चिंता जताई गई है।

डालबर्ग की स्टेट ऑफ स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एक्टिविटी (एसएपीए) की रिपोर्ट के अनुसार 155 मिलियन (15.5 करोड़) से अधिक भारतीय वयस्क और 45 मिलियन (4.5 करोड़) से अधिक किशोर शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोग सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों को पूरा करने में विफल पाए गए हैं।

इस आधार पर विशषज्ञों का कहना है कि करोड़ों भारतीय लोगों में शारीरिक निष्क्रियता के चलते गंभीर और क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक वयस्कों को प्रति सप्ताह 150-300 मिनट की मध्यम स्तरीय एरोबिक गतिविधि या 75-150 मिनट की तीव्र स्तरीय शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। बुजुर्गों या क्रोनिक बीमारियों के शिकार लोगों को गिरने से बचने और संतुलन बढ़ाने के लिए हल्के स्तर के व्यायाम और भी जरूरी हो जाते हैं।

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हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करोड़ों लोग शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं और सेंडेंटरी लाइफस्टाइल का शिकार हैं। ये रिपोर्ट भारतीयों में खेल और व्यायाम के प्रति ध्यान की कमी की ओर भी ध्यान आकर्षित करती है।

महिलाएं और भी कम सक्रिय

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो अधिकांश लोग दैनिक कामों के अलावा वॉक जरूर करते हैं, पैदल चलने के अपने फायदे हैं, लेकिन स्वस्थ शरीर के लिए यही पर्याप्त नहीं है। लगभग 10 प्रतिशत वयस्क खेलकूद में तो संलग्न हैं पर नियमित नहीं हैं।

खेल और शारीरिक गतिविधियों में लैंगिक भेदभाव भी बहुत चिंताजनक है। औसतन, लड़कियां और महिलाएं शारीरिक गतिविधियों में पुरुषों की तुलना में कम समय बिताती हैं। शहरों में ये और भी बदतर है, जहां एक तिहाई लड़कियां और महिलाएं डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करती हैं।

क्रोनिक बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम में कमी एक गंभीर समस्या है जिसके कारण भविष्य में कई प्रकार की गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का संकट बढ़ सकता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग सहित कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों के लिए शारीरिक गतिविधियों में कमी को प्रमुख कारण माना जाता है। अगर ऐसी ही स्थिति जारी रही तो भविष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र पर गंभीर दबाव की स्थिति बन सकती है।

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