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लखनऊ नगर निगम व भारत बायोगैस एनर्जी लिमिटेड तथा जेबीएम रिन्यूबल प्राइवेट लिमिटेड के मध्य हुआ करार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन की प्रेरणा से आज लखनऊ के कान्हा उपवन में 150 टन क्षमता का सीबीजी प्लांट स्थापित करने के लिए लखनऊ नगर निगम व भारत बायोगैस एनर्जी लिमिटेड तथा जेबीएम रिन्यूबल प्राइवेट लिमिटेड के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें लखनऊ नगर निगम की ओर से महापौर संयुक्ता भाटिया की उपस्थिति में अपर नगर आयुक्त डॉ. अर्चना द्विवेदी ने तथा बायोगैस एनर्जी और जेबीएम रिन्यूबल प्राइवेट लिमिटेड की और से डॉ. भरत पटेल व संजय मोरगई ने हस्ताक्षर किये।

सीबीजी प्लांट से उत्सर्जित CNG gas से प्रदूषण रूकेगा,ग्लोबल वार्मिंग की समस्या दूर होगी

इस संयंत्र से 15,000 क्यूबिक घन मीटर गैस का उत्सर्जन होगा, 20 से 30 हजार टन प्रतिवर्ष जैविक उर्वरक प्राप्त होगी, 1 से 1.5 लाख लीटर लिक्विड फर्टिलाइजर निकलेगा। पूर्णरूप से आटोमेटिक सीबीजी प्लांट से प्राप्त उर्वरक औद्यानिक फसलों जैसे गन्ना, धान आदि के लिए उपयोगी होगी तथा संयंत्र से उत्सर्जित ग्रीेन हाउस गैस से प्रदूषण रूकेगा, तापमान घटेगा, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या दूर होगी।

ज्ञातव्य है कि माननीय राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से राजभवन लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में भारत बायोगैस इनर्जी लिमिटेड के बायोगैस विशेषज्ञ डा. भरत पटेल ने विगत दिनों प्रस्तुतीकरण दिया था, जिसका मुख्यमंत्री ने प्रस्तुतीकरण की सराहना करते हुए प्रदेश में स्थित गौशालाओं में संयंत्र स्थापित किये जाने की इच्छा व्यक्त की थी।

सीबीसी प्लांट से बायोगैस तैयार करने के लिए गोबर, प्रेसमड तथा पराली का प्रयोग किया जायेगा। कान्हा उपवन में मौजूद 10 हजार पशुओं के गोबर के माध्यम से इसका उत्पादन किया जायेगा। इस कार्य हेतु भारत बायो एनर्जी लिमिटेड व जेबीएम रिन्यूबल प्राइवेट लिमिटेड को 7.5 एकड़ भूमि लीज पर दी जाएगी।

सीबीजी प्लांट स्थापित होने से डीजल तथा पेट्रोल पर निर्भरता कम होगी

सीबीजी प्लांट स्थापित होने से सीएनजी गैस प्राप्त होगी, इसके साथ ही खेतों में उपयोग करने के लिए उच्च कोटि की जैविक खाद भी प्राप्त होगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। पेट्रोल एवं डीजल के आयात में कमी होगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और माननीय प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत मिशन को बल भी मिलेगा। यह प्रारंभिक एमओयू है। शासन से अनुमति मिलने के बाद इसका अंतिम रूप से एग्रीमेंट किया जाएगा।

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