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वाराणसी सम्मेलन में बोले संत, ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दूओं को सौंपे मुस्लिम समुदाय

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित किये गये अखिल भारतीय संत समिति के सम्मेलन में कई प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई, लेकिन जो खास बात रही उसमें विश्वनाथ कॉरिडोर, ज्ञानवापी मस्जिद और श्रीनगर स्थित शंकराचार्य मंदिर में रुद्राभिषेक अहम रहा. इन तीनों मुद्दों पर संतों ने बड़ा ऐलान किया है.

धर्म नगरी वाराणसी में संतों का जमावड़ा किसी धार्मिक आयोजन के लिए नहीं, बल्कि सन्त देश के उन खास मुद्दों को लेकर एकत्रित हुए जिसका समाज के हर तबके पर प्रभाव पड़ता है. संतों ने पीएम मोदी के विश्वनाथ कॉरिडोर पर अपनी मुहर लगा दी है.

पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में सभी प्राचीन मंदिर शामिल है, जिसे लेकर डिजाइन पर खासा विवाद भी हुआ था. लेकिन देश भर के पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वर ने विश्वनाथ कॉरिडोर का निरीक्षण किया और इस कॉरिडोर की डिजाइन पर अपनी मुहर लगा दी.

इस संत सम्मेलन में ये माना जा रहा था कि विश्वनाथ मंदिर परिसर में बने ज्ञानवापी मस्जिद का भी मामला उठाया जाएगा और हुआ भी ऐसा ही. संतों के निरीक्षण करने के बाद मुस्लिम समुदाय से मस्जिद को खुद मंदिर प्रशासन को देने की अपील की है. जिसे उन्होंने प्राथमिकता में बताया है.

वहीं संतों ने जम्मू कश्मीर की तरफ भी धर्म और अध्यात्म के लिए कूच करने की बात की है. जिसकी शुरुआत श्रीनगर में स्थित शंकराचार्य पहाड़ पर बने शंकराचार्य मन्दिर से होगी. बता दें कि धारा 370 के कारण यहां जाना अवरुद्ध था, लेकिन अब धारा 370 हट गयी है. ऐसे में संत अगले वषज़् उस पहाड़ पर जाकर रुद्राभिषेक करेंगे.

राम मंदिर इस सम्मेलन का खास मुद्दा रहा. मन्दिर के लिए धन संग्रह अभियान की शुरुआत की जानी है. जो कि मकर संक्रांति से शुरू होगी और रविदास जयंती तक चलेगी. इस संग्रह अभियान में हिन्दू कार्यकर्ता 12 करोड़ हिन्दू परिवार से संपर्क करेंगे जिसमें 60 करोड़ हिन्दू शामिल होंगे.

सम्मेलन में सबसे खास बात रही कि अब संतों का पहचान कार्ड बनाया जाएगा. इस पहचान कार्ड को इसलिए बनाने का निर्णय किया गया है, ताकि साधु और संतों को बदनाम न किया जा सके. साधु संत के वेश में अन्य समाज के लोग भी भगवा वस्त्र धारण कर लेते हैं.

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