मलेशिया में राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब कड़े मुकाबले वाले आम चुनाव में त्रिशंकु संसद बनी और किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। आश्चर्यजनक रूप से इस्लामिक पार्टी के समर्थन में वृद्धि हुई है। विपक्षी नेता #अनवर_इब्राहिम के सुधारवादी गठबंधन को संसद की 220 सीट में से सबसे अधिक 83 सीट मिली हैं लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर रह गयी। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन के नेतृत्व वाले ‘नेशनल एलायंस’ को 73 सीट मिली हैं।
यूनाइटेड मलयज नेशनल ऑर्गेनाइजेशन’ (यूएमएनओ) की अगुवाई वाले गठबंधन ने बहुत खराब प्रदर्शन किया है और उसे महज 30 सीट ही मिली हैं। इस गठबंधन ने ब्रिटेन से आजादी मिलने से लेकर 2018 तक #मलेशिया पर शासन किया। चुनाव में हार का सामना करने वाले लोगों में दो बार के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद (97) भी शामिल हैं जो एक अलग मलय आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। मलेशिया की 3.3 करोड़ आबादी के दो तिहाई ग्रामीण मलय लोगों को डर है कि अधिक बहुलता के साथ वे अपने अधिकारों को खो सकते हैं। इनमें बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक जातीय चीनी और भारतीय लोग शामिल हैं।
इसके साथ ही यूएमएनओ के भ्रष्टाचार ने मुहिद्दीन के गठबंधन को फायदा पहुंचाया। इसकी सहयागी पैन-मलेशियन इस्लामिक पार्टी या पीएएस अहम विजेता बनकर उभरी है। इस चुनाव के नतीजों से खरीद-फरोख्त का दौर शुरू हो सकता है क्योंकि सरकार बनाने के लिए मुहिद्दीन और अनवर दोनों के बीच खींचतान चल सकती है। उन्हें बोर्नियो द्वीप के दो गठबंधनों के समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी जिनके पास संयुक्त रूप से 28 सीट हैं। अनवर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने बहुमत हासिल करने के लिए सांसदों से लिखित में समर्थन हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसे देश के राजा को सौंपा जाएगा जो अंतिम फैसला लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने बहुमत हासिल कर लिया है.बहुमत का मतलब है 111 से अधिक सीट।’’ इस बीच, मुहिद्दीन ने कहा कि उन्हें राजमहल से एक पत्र मिला है जिसका संकेत है कि उनके गठबंधन को सरकार बनाने में प्राथमिकता दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें स्थिर सरकार बनाने का भरोसा है। यूएमएनओ के नेता अहमद जहीद हामिदी ने एक बयान में कहा कि उनके गठबंधन ने नतीजों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि नेशनल फ्रंट स्थिर सरकार बनाने के लिए मतभेदों को दरकिनार रखना चाहता है। दो संघीय सीट पर एक उम्मीदवार के निधन तथा खराब मौसम के कारण मतदान स्थगित कर दिया गया।
बारिसन नेशनल गठबंधन 1957 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से देश की सत्ता पर काबिज रहा, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते वर्ष 2018 के चुनाव में उसे अनवर के गठबंधन पीएच से शिकस्त झेलनी पड़ी।