लखनऊ। डा शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के चतुर्थ तल स्थित सभागार में ‘मेंटल हेल्थ आफ स्ट्रीट चिल्ड्रेन’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए समाजशास्त्री प्रो हिमांशु शेखर झा ने कहा कि ‘‘स्ट्रीट चिल्ड्रेन’’ शब्द का प्रयोग उन बेघर और अनाथ बच्चों के लिए प्रयोग में लाया गया है, जो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सड़कों, फुटपाथों, बाजारों, पार्काें, बस या रेलवे स्टेशनों पर निर्भर हैं, लेकिन इनके सामाजिक बहिष्कार के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, इनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को आगे आना होगा।
इस अवसर पर गुजरात से पधारे महाराजा सयासीराव विश्वविद्यालय बड़ौदा के समाजकार्य विभाग के प्रो अंकुर सक्सेना नेे ऑन-लाइन माध्यम से अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि- सड़क से जुड़े बच्चे अक्सर मानसिक अवसाद, चिन्ता एवं सामाजिक प्रताड़ना से पीड़ित होते है। जिसके कारण वे मादक द्रव्यों का शिकार हो जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं, इसलिए इनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए वास्तविक प्रयास करना समय की ऐतिहासिक अवश्यकता है।
इसी अवसर पर प्रो हिमांशु शेखर झा के निर्देशन में समाजकार्य विभाग की शोध छात्रा सुमन पाण्डेय की पीएचडी मौखिकी परीक्षा भी संपन्न हुई, जिसका विषय था-‘मेंटल हेल्थ ऑफ स्ट्रीट चिल्ड्रेन’ विद्-स्पेशल रेफेरेंस टू सेलेक्टेड सीरीज ऑफ उत्तर प्रदेश।
संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डाॅ अमित कुमार राय, अधिष्ठाता कला एवं संगीत संकाय प्रो वीके सिंह, निदेशक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान प्रो सीके दीक्षित, डाॅ कौशिकी सिंह, डाॅ विजय कुमार वर्मा, डाॅ मनीष द्विवेदी आदि के साथ में विश्वविद्यालय में विभागों के विद्वतजनों एवं शोधछात्रों ने प्रतिभागिता की।