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लखनऊ विश्वविद्यालय में मनाया गया निक्षय दिवस, पीड़ित व्यक्तियों को दी गई “पोषण पोटली”

लखनऊ। आज दीनदयाल शोधपीठ, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्व क्षय रोग दिवस को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल, लखनऊ विश्वविद्यालय एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश के निर्देशन में एवं कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, के मार्गदर्शन में निक्षय दिवस के रूप में मनाया गया। प्रोफेसर पूनम टंडन, डीन अकादमिक एवं छात्रकल्याण मुख्य अतिथि रहीं। डॉक्टर मालिनी श्रीवास्तव समन्वयक महिला अध्ययन संस्थान एवं मनोवैज्ञानिक, मुख्य वक्ता एवं परामर्शदात्री के तौर पर उपस्थित रहीं।

लखनऊ विश्वविद्यालय

कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय, निदेशक, पंडित उपाध्याय शोध पीठ एवं विभागाध्यक्ष समाज कार्य विभाग ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। प्रोफेसर भारतीय ने अपने उद्बोधन में क्षय रोगियों से बात करते हुए कहा कि हम सभी लोग जब कभी किसी समस्या से ग्रसित होते है तो हम पर आर्थिक, सामाजिक व् मानसिक दबाव रहता है। जिसके कारण स्वयं व परिवार के लोग, सगे संबधी, यहां तक की मित्र व पड़ोस के लोग भी चिंतित होते है। ऐसी स्थिति में जीवन के साथ सामंजस्य कर पाना बहुत कठिन होता है।

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मानसिक दबाव के कारण हम आपने आप को असहज पाते है और यदि किसी बीमारी के साथ सामाजिक धब्बा होता है तो लोग त्रिस्कृत की भावना से देखते है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण जीवन की मूलभूत आवश्यकतओं को पूरा नहीं कर पाते है। जिससे कुचक्र के जाल में फंसते चले जाते है। इससे निकलना बहुत जरुरी है, जो कि आपसी सहयोग, सद्भाव व् सामाजिक उत्तरदायित्व के मूल्य का पालन करते हुए दूर कर सकते है।

लखनऊ विश्वविद्यालय

प्रो भारतीय ने यभी बताया गया कि पूर्वे में गोद लिए गए 24 क्षय रोगियों ने अपना उपचार का कोर्स पूरा कर लिया है और पूरी तरह से स्वथ्य है, तथा एक रोगी का उपचार चल रहा है।इस अवसर पर समाज कार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए क्षय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को पोषण पोटली जिसमे भुना चना, गुड़, मूंगफली, चिक्की, सत्तू, और अन्य आवश्यक पोषक सामग्री से सम्बंधित पोषण पोटली प्रदान की गयी।

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कार्यक्रम की मुख्य अथिति प्रोफेसर पूनम टंडन, डीन अकादमिक एवं छात्र कल्याण ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्षय रोग को जड़ से मिटाना है और यह हम सब के प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने छय रोग पीड़ितों को गोद लेने के समाज कार्य विभाग के हस्तक्षेप की प्रशंसा की। डॉक्टर मानिनी श्रीवास्तव, समन्वयक, महिला अध्ययन संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय ने आए हुए छय रोग पीड़ितों से संवाद किया और उनके सवालों के जवाब दिए। एक मरीज की पत्नी की मृत्यु हो जाने के कारण उसको मानसिक दबाव हो गया था, जिसको मनोवैज्ञानिक मानिनी श्रीवास्तव ने उचित परामर्श दिया।

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उन्होंने कहा कि जीवन से जुड़ी अच्छी बातों को साझा करके, खेल के द्वारा, योग के द्वारा हम खुद का और अपने परिवार में पीड़ित किसी भी व्यक्ति को क्षय रोग से लड़ने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने आए हुए क्षय रोगियों को संबोधित करते हुए कहा की छय रोग पीड़ितों के लिए खुद का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी है, उन्होंने कहा कि उचित पोषक तत्वों के सेवन और सही समय पर दवाएं लेकर रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।

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कई पीड़ितों ने रोग के कारण रोजगार के साधन खत्म हो जाने की बात कही,इसपर प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय जी ने उनसे कहा की उनकी इस समस्या को हल करने की वो कोशिश करेंगे और निवेदन किया कि इसके बारे में उनसे विस्तृत रूप से बताएं। उन्होंने सभी क्षयरोगियों के साथ अपने मोबाइल नंबर को साझा किया और जरूरत पड़ने पर किसी भी समय संपर्क करने को कहा। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय, विभागाध्यक्ष एवं निदेशक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जल्द ठीक होने के लिए सभी क्षय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को शुभकामनाएं दी।

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