फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर आय दिन दिखने वाले Fake news फर्जी ख़बरों पर लगाम लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक वेब आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है। मेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित यह टूल ‘इफ्फी कोशेंट’ नाम के प्लेटफॉर्म हेल्थ मेट्रिक का इस्तेमाल करता है जो दो बाहरी निकायों ‘न्यूजव्हिप’ और ‘मीडिया बायस/फैक्ट चैकर’ के माध्यम से फेक न्यूज को खोजने वाली क्रिया को अंजाम दे सकता है
Fake news : हजारों साइटों से URL इकट्ठा करती है कंपनी
- न्यूजव्हिप एक सोशल मीडिया ट्रैकिंग कंपनी है जो हर रोज हजारों साइटों से URL इकट्ठा करती है और फिर फेसबुक, ट्विटर से जुड़ी इन साइटों से सूचना एकत्रित करती है।
- इसके बाद यह सॉफ्टवेयर पता लगाता है कि ये डोमेन स्वतंत्र वेबसाइट मीडिया बायस/फैक्ट चैक द्वारा चिह्नित किये गये हैं या नहीं।
- इसके बाद मीडिया बायस/फैक्ट चैक कई स्रोतों की विश्वसनीयता और उनकी तटस्थता के आधार पर उनका वर्गीकरण करती है।
- Facebook ने फेक न्यूज़ और झूठी सूचनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक पहल शुरू की थी। FB ने ऐसे पेज की कमाई रोकने के लिए विज्ञापन देना बंद करने का फैसला किया है, जो लगातार फर्जी खबरें शेयर करते हैं।
- वेबसाइट ‘टेकक्रंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जैसे ही किसी खबर को विवादित खबर के तौर पर पहचान की जाएगी, वैसे ही खबर के लिंक को फेसबुक के दिए जाने वाले विज्ञापन मिलने बंद हो जाएंगे।