मध्य प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा 14 फीसदी आरक्षण से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण देने वाला संशोधन विधेयक पास कर दिया है। जिसके बाद अब ओबीसी को शिक्षा और सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। कमलनाथ सरकार ने इस विधेयक को जून महीने की पहली कैबिनेट बैठक में ही मंजूरी दी थी, जिसके बाद विधानसभा के वर्तमान सत्र में इसे पेश किया गया। विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के ओबीसी में खुशी की लहर है।
मंगलवार को विधानसभा में इसे मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2019 के रूप में सर्वसम्मति से पारित किया गया। राज्यपाल और राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 का हिस्सा बन जाएगा। विधेयक पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने निजी क्षेत्र में भी प्रदेश में आरक्षण लागू करने की मांग की।
नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव ने ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का समर्थन करते हुए मांग की कि ओबीसी कोटे के अंदर क्रीमी लेयर की शुरुआत की जानी चाहिए ताकि इसका लाभ ओबीसी के उस गरीब वर्ग तक पहुंच सके जिसे कभी आरक्षण का लाभ ही नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के अंदर ‘अति पिछड़ा वर्ग’ के लिए 7 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, नेता प्रतिपक्ष ने यह भी पूछा कि जब नौकरी नहीं है तो यह आरक्षण ओबीसी के लिए कैसे फायदेमंद साबित होगा। जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि सरकारी निकायों, निगमों और स्थानीय निकायों में करीब 2.5 लाख नौकरियां उपलब्ध हैं, जिन्हें जल्द ही भर दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि इस संशोधन से प्रदेश में आरक्षण 73 प्रतिशत हो जाएगा, जिसमें अनारक्षित वर्ग के आॢथक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल है। चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
गौरतलब है कि इस साल मार्च में लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश सरकार ने ओबीसी कोटा बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का अध्यादेश लाया था। इसी माह मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए लाए गए प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर स्थगन दे दिया।