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जी 20 : अध्यक्षता में अवसर

किसी वैश्विक संगठन में अध्यक्ष पद में परिवर्तन समान्य प्रक्रिया है. जी 20 पर भी यह बात लागू हैं. लेकिन भारत के अध्यक्ष बनने से एक नया अध्याय जुड़ा है. इसकी गूंज केवल इस संगठन तक ही नहीं पूरी दुनिया में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली ने इसे भी नया आयाम दिया हैं. नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमन्त्री हैं जिन्होंने अपनी विदेश नीति में भारतीय संस्कृति का भी समावेश किया है. जिसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना है. विश्व शांति का सपना केवल भारतीय चिंतन के माध्यम से ही साकार हो सकता है.

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नरेंद्र मोदी ने इसी चिंतन का उद्घोष जी 20 में भी किया है. अन्य देशों सभ्यताओं के लिए यह विचार दुर्लभ है. तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने लखनऊ में ऐसे ही तत्वों का उल्लेख किया. उन्होंने भारत की जी-20 में अध्यक्षता और विश्व व्यवस्था” विषय पर व्याख्यान दिया. इसका आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा प्रो. वीएस राम मेमोरियल व्याख्यान के अंतर्गत किया गया था. उन्होंने कहा कि आज भारत के प्रति वैश्विक दृष्टि में परिवर्तन आ चुका है , आज भारत विश्व का नेतृत्व करने हेतु तैयार है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन, युद्ध, आतंकवाद और वैश्विक निर्धनता के विभिन्न पक्षों का उल्लेख किया. भारतीय दृष्टि से वैश्विक समस्या-समाधान की ओर अग्रसर होने का आह्वान किया.‘सर्वे भवन्तु सुखिनः,’ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ भारतीय दर्शन एवं भारतीय जीवन दृष्टि का प्राण तत्त्व है.

जी 20 : अध्यक्षता में अवसर

भारतीय दृष्टि धरित्री को भूगोल मानने तक सीमित नहीं है. अपितु यह इसे माँ के सदृश मानती है. स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द और गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसी स्वरुप को अंगीकार कर हमे प्रेरित किया है. आज हमे इसी दृष्टि से भारत की जी 20 की अध्यक्षता को लेना होगा, पूर्व में आर्थिक रूप से संपन्न रहे भारत की तस्वीर को वापस लाना होगा, आज मानवता के कल्याण के लिए भारत के पास एक सशक्त नेतृत्व है जिसने नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र से लेकर आर्थिक विकास एवं सामरिक हितों को सशक्त किया है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपना विकास कर रहा, अपितु वसुधैव कुटुंबकम की भावना के अनुरूप संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानते हुए सबके साथ सहयोग-भाव लेकर भी चल रहा है.

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किसी वैश्विक संगठन ने पहली बार भारतीय सूक्ति को अपना ध्येय वाक्य बनाया है। वस्तुतः यह भारतीय चिंतन के बढ़ते प्रभाव और लोकधर्म की प्रतिध्वनि है। इसे विश्व सहजता से स्वीकार कर रहा है। लोगों को धीरे-धीरे यह समझ में आ रहा है कि वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन के माध्यम से किया जा सकता है। विश्व गुरु भारत ने सम्पूर्ण मानवता के लिए वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया था। किसी अन्य सभ्यता संस्कृति के लिए यह दुर्लभ चिंतन था.

इसमें सभ्यताओं के बीच संघर्ष की कोई संभावना नहीं थी। लेकिन कालान्तर में ऐसे संघर्ष का दौर भी चला। दुनिया में शांति और सौहार्द की अभिलाषा रखने वालों को भारतीय विरासत में ही समाधान दिखाई दे रहा है। अन्य कोई विकल्प है भी नहीं। यह विषय दुनिया को युद्द मुक्त करने तक ही सीमित नहीं है। भारत ने पृथ्वी सूक्त के माध्यम से मानवता को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति संवर्धन का भी संदेश दिया। कोरोना काल में भारतीय जीवन-शैली और आयुर्वेदिक को दुनिया में पुनः प्रतिष्ठित किया है। उस समय अपने को विकसित समझने वाले देश भी लाचार हो गए थे.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व कल्याण के द्रष्टिगत दुनिया को भारतीय विरासत से परिचित करा रहे है। उनके प्रयासों से अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हेतु बहुत उपयोगी है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे हो मानवीय तथ्यों को दुनिया में स्थापित कर रहा है। विगत आठ वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ा है। G-20 में भी भारत के विचारों को बहुत महत्व मिलने लगा है। कुछ वर्ष पहले तक यह कल्पना भी मुश्किल थी कि भारत इस संगठन का अध्यक्ष बनेगा। आज यह सहज रूप में सम्भव हुआ है। नरेन्द्र मोदी ने इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर माना है। इसके माध्यम से वह विश्व कल्याण के तथ्यों लोगों को अवगत करा रहे हैं। G-20 शिखर सम्मेलन का लोगो अपने में एक विचार को अभिव्यक्त करने वाला है। नरेन्द्र मोदी ने भारत की मेजबानी में अगले वर्ष आयोजित होने वाली G-20 शिखर वार्ता का प्रतीक चिन्ह, मुख्य वाक्य और वेबसाइट का अनावरण किया था.

G-20 के प्रतीक चिन्ह में सात पंखुड़ियों वाले कमल के फूल पर गोलाकार विश्व स्थित है। इसके नीचे भारतीय संस्कृति का प्रसिद्ध ध्येय वाक्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अंकित है। साथ ही वन अर्थ,वन फैमिली और वन फ्यूचर को स्थान दिया गया है। मोदी ने कहा कि इस लोगो और थीम के माध्यम से एक संदेश दिया गया है। हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। G-20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है.

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नरेन्द्र मोदी ने संयुक्तराष्ट्र महासभा में भी कहा था कि भारत युद्ध नहीं बुद्ध का देश है। प्रतीक चिन्ह में कमल का फूल भारत की पौराणिक धरोहर, हमारी आस्था और हमारी बौद्धिकता को चित्रित करता है। प्रतीक चिन्ह के कमल की सात पंखुड़ियां दुनिया के सात महाद्वीपों और संगीत के सात स्वरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रतीक चिन्ह इस आशा को जगाता है कि दुनिया एक साथ आगे बढ़ेगी। जी-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है। ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है, जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र की भावना हैं। इसमें पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के मुख्य वाक्य में प्रतिबिंबित हो रहा है। प्रतीक चिन्ह में कमल इन विपरीत परिस्थितयों में आशा जगाता है.

चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों कमल खिलता रहता है।आजादी के अमृतकाल में देश के सामने G-20 की अध्यक्षता का बड़ा अवसर है। यह भारत के लिए गर्व और गौरव की बात है। G-20 ऐसे देशों का समूह है जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में पच्चासी प्रतिशत की भागीदारी रखता है। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है। विश्व व्यापार में इसकी पचहत्तर प्रतिशत की भागीदारी है। भारती का प्रयास है कि विश्व में दुनिया में कोई ‘पहली दुनिया’ या ‘तीसरी दुनिया’ न हो, बल्कि एक दुनिया’ हो। कांग्रेस ने इस विषय को भी अपनी राजनीति का अवसर मान लिया है। लोगो के माध्यम से भारतीय विरासत का दुनिया को संदेश दिया गया.

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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