नागरिकता संशोधन कानून और नागरिकता रजिस्टर (एनसीआर) को लेकर देशभर में जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को देशभर में निवासियों का डेटाबेस अपडेट करने की मंजूरी दे दी। सीएए और एनआरसी पर विवाद के बाद अब राजनीतिक हलकों में एनपीआर के फैसले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसपर केंद्र सरकार ने साफ किया है कि एनपीआर में कुछ भी नया नहीं है। सफाई देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है।
इसका और नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस का आपस में कोई नाता नहीं है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में एनपीआर के लिए 3,941.35 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। केंद्र का कहना है कि यह यूपीए सरकार के समय (2010) से चला आ रहा है और 2015 में यह रजिस्टर अपडेट भी हो चुका है। अब 2021 में जनगणना से पहले एनपीआर को एकबार फिर अपडेट किया जाना है। इसका काम अगले साल अप्रैल से सितंबर के बीच पूरा किया जाना है और जनगणना 2021 में होगी। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि रजिस्टर के सभी आंकड़े मोबाइल ऐप पर लिए जाएंगे।