ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि असम के सीएम ने सब्जियों की ऊंचे दाम के लिए बंगाली भाषी मुसलमानों को दोषी ठहराया, यह सांप्रदायिक मानसिकता है।
ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, ‘देश में एक ऐसी मंडली है जिसके घर अगर भैंस दूध ना दे या मुर्गी अण्डा ना दे तो उसका इल्जाम भी मियां पर ही लगा देंगे। शायद, अपनी निजी नाकामियों का ठीकरा भी मियां भाई के सर ही फोड़ते होंगे। आज कल मोदी जी की विदेशी मुसलमानों से गहरी यारी चल रही है, उन्हीं से कुछ टमाटर, पालक, आलू वघैराह मांग कर काम चला लीजिए।’
दरअसल, हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में सब्जियों की बढ़ती कीमत का जिम्मेदार मियां समुदाय को बताया था। उन्होंने कहा कि शहर में सब्जी बेचने वाले ज्यादातर मियां हैं। ये असमिया लोगों को महंगी सब्जी बेच रहे हैं। मालूम हो कि असम में बंगाली मूल के मुसलमानों के लिए अक्सर ‘मियां’ शब्द का इस्तेमाल होता है।
वे मूल रूप से बांग्लादेश से आए हुए थे। असम के मुख्यमंत्री सरमा अक्सर मिया समुदाय को सांप्रदायिक बताते रहे हैं। साल 2021 में असम विधानसभा चुनाव से पहले भी सरमा ने एक कार्यक्रम में कुछ ऐसा ही बयान दिया था। उन्होंने कहा कि मियां समुदाय असमिया संस्कृति को बिगाड़ने की कोशिश में लगा है।
दूसरी ओर, ओवसी ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के प्रस्ताव को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और चीनी घुसपैठ जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी की बात की जा रही है।
उन्होंने कहा कि वह जल्द ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी से मिलकर उनका समर्थन मांगेंगे। साथ ही वो अपील करेंगे कि अगर संसद में यूसीसी के संबंध में कोई विधेयक पेश किया जाता है तो रेड्डी की पार्टी उसके खिलाफ वोट करे। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को सामने लाने को लेकर केंद्र की मंशा पर भी सवाल उठाया।
सीएम सरमा ने असमिया व्यापारियों को सब्जी बेचने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, ‘अगर असमिया व्यापारी आज सब्जियां बेचते तो वे कभी अपने लोगों से ज्यादा कीमत नहीं वसूलते।’ सरमा ने राज्य के युवाओं को आगे आने और सब्जी बेचने के लिए कहा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह व्यक्तिगत रूप से फ्लाईओवर के नीचे के बाजार को खाली करवा देंगे, जिससे असमिया लड़कों को रोजगार का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘हमने देखा कि कैसे गुवाहाटी में ईद के दौरान भीड़ कम दिखाई देती है। बसों की आवाजाही भी कम हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर बस और कैब चलाने वाले मियां समुदाय से हैं।’