पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने मंगलवार को सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की सेवा अवधि विस्तार की अधिसूचना पर रोक लगा दी। इस मामले की बुधवार को सुनवाई होगी। न्यायालय ने रक्षा मंत्रालय, संघीय सरकार और जनरल बाजवा को नोटिस जारी किए, जो 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इस मामले की सुनवाई को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
न्यायालय की कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा “स्पष्ट रूप से सेना प्रमुख के विस्तार और अनुमोदन सही नहीं है।” प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी संक्षिप्त अधिसूचना में कहा गया है कि जनरल बाजवा का कार्यकाल पूरा होने की तारीख से अगले तीन साल के दूसरे कार्यकाल के लिए सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।”
मुख्य न्यायाधीश ने आज जनरल बाजवा के कार्यकाल में विस्तार को चुनौती देने संबंधी द ज्यूरिस्ट्स फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका की वापसी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। शीर्ष न्यायाधीश ने, हालांकि आवेदन को अस्वीकार कर दिया और संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत सार्वजनिक हित में याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू कर दी। मामले को स्वत: संज्ञान नोटिस में परिवर्तित कर दिया गया।
न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, अगर अधिसूचना 19 अगस्त को जारी की गई थी, तो प्रधानमंत्री ने 21 अगस्त को क्याें मंजूरी दी थी? उन्होंने कहा, “केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति ही सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ा सकते हैं। इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा, “हम फिर से राष्ट्रपति से मंजूरी ले सकते हैं।
न्यायमूर्ति खोसा ने कहा कि 25 कैबिनेट सदस्यों में से केवल 11 ने ही (बाजवा के) सेवा विस्तार को मंजूरी दी थी। उन्होंने जानना चाहा, मंत्रिमंडल के चौदह सदस्यों ने अनुपस्थिति के कारण कोई राय नहीं दी। क्या सरकार ने समझौते के रूप में चुप्पी साध ली है?