बिधूना/औरैया। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का पिछले दिनों दो बार बदल बदल कर घोषित किया गये आरक्षण को गलत मानते हुए इस के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है इसकी सुनवाई 26 मार्च को होना संभावित है ऐसे में घोषित हुए आरक्षण के आधार पर खासकर प्रधान पदों पर काबिज होने का मन बनाए बैठे संभावित दावेदारों में आरक्षण बदलने की आशंका से जहां ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है वहीं इस घोषित आरक्षण से चुनाव लड़ने से वंचित हो गए संभावित प्रत्याशियों की उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में आरक्षण बदलने और उनके मनमाफिक सीट होने की संभावना से बढ़ गई है, लेकिन वह भी अभी तक ऊहापोह की स्थिति में है कि उनके मनमाफिक सीटों का आरक्षण हो पाएगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण का मामला विचाराधीन होने के चलते सबसे बड़ी समस्या चालाक चापलूस चटोरे मतदाताओं की है क्योंकि आरक्षण का मामला न्यायालय में होने के चलते अधिकांश खासकर प्रधान पद के संभावित दावेदारों फिलहाल दारु मुर्गा की दावतें रोक दी गई हैं ऐसे में दावत खोर मतदाताओं की बेचैनी भी काफी बढी हुई है। मतदाताओं का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो ताकि संभावित दावेदार उनका होली का खर्चा उठाने के साथ दारु मुर्गा पेश कर होली की मस्ती ला सकें।
आलम यह है कि खासकर प्रधान पद के संभावित प्रत्याशी गांवों में मतदाताओं को लुभावने सब्जबाग दिखाकर पटाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं लेकिन मतदाता है कि जब तक दारु मुर्गा नहीं तब तक वोट पक्का नहीं। आरक्षण की स्थिति कब स्पष्ट होगी यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है लेकिन प्रधान पद के चुनाव की फिलहाल सरगर्मी जहां धीमी हो गई है वही अधिकांश चापलूस चटोरे मतदाताओं की भी खानपान का इंतजाम न हो पाने से चिंता बढ़ गई है।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर